सविपाक उदय!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सविपाक उदय – Savipaaka Udaya. Fruition of Karmas on maturity. काल, भव और क्षेत्र का निमित्त पाकर कर्मो का उदय होता है। वह दा प्रकार का है- सविपाक उदय और विपाक उदय । कर्मो का स्थिति पूर्ण होने पर उदय में आना ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सविपाक उदय – Savipaaka Udaya. Fruition of Karmas on maturity. काल, भव और क्षेत्र का निमित्त पाकर कर्मो का उदय होता है। वह दा प्रकार का है- सविपाक उदय और विपाक उदय । कर्मो का स्थिति पूर्ण होने पर उदय में आना ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पृच्छा विधि – Prccha Vidhi. Method of asking or questioning, Synonym word for Shrutgyan (scriptural knowledge). पूछा गया अर्थ पृच्छा है, और वह जिसमें विहित की जाती है अर्थात् कही जाती है वह पृच्छाविधि कहलाती है, श्रुतज्ञान का एक पर्यायवाची नाम “
ड्योढ गुणहाहिन A mathematical quantity. गुणहानि आयाम को ड्योड़ा करने पर मिले प्रमाण को ड्योढ गुणहानि कहते है। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
छेदविधि A method of repentance for maintaining restraints. प्रमाद द्वारा हुए अनर्थ को दूरं करने के लिए प्रायश्र्चित विधि से क छेदन करके संयम रूप धर्मं में स्थापना करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वसुन्दर – Sarvasumndara. Very veautiful or attractive. One of the seven particular saints. See- Sapta Rsi. सबसे सुन्दर, सप्त ऋषियों में से एक । देखे – सप्तऋषि ।
उत्तंस A superior diamond engraved crown. किरीट से भी उत्तम कोटि का रत्नजडि़त मुकुट।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
छायाराहित्य Shadowlessness; an excellence of Lord Arihant. अर्हन्त भगवान के जन्म का अतिशय ; छाया से रहित होना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वव्यापी – Sarvavyaapee. All-pervaded, omniscience. केवलज्ञान; उसमें समस्त पदार्थ प्रतिभासित होने से वह सर्वगत है।
छोटेलाल जैन Father’s name of Ganini Aryika Shri Gyanmati Mataji; a special personality (year 1906-1969) of Agrawal Jain caste resident of Tikaitnagar, U.P., got married with Mohinidevi of Mahmoodabad, U.P., and became father of 9 daughters & 4 sons. Among them 3 daughters Ku. Maina, Ku. Manovati, Ku. Madhuri & 1 son Ravindrakumar turned to…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वपदार्थ – Sarvapadaartha. All matters or substances. समस्त पदार्थ परोक्ष प्रमाणभूत श्रुतज्ञान के द्वारा सर्व पदार्थ जाने जाते है क्योकि लोकालोक का परिज्ञान व्याप्ति रूप से छद्मस्थों में भी पाया जाता है।