व्रद्धि ह्रास!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्रद्धि ह्रास – Vrddhi – Hraasa Universal changes pertaining to the growth & destruction. भरत और ऐरावत क्षोत्तों में षटगुण हानि वृद्धि– हास रूप परिवर्तन जिसे उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी काल के नाम से जाना जाता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्रद्धि ह्रास – Vrddhi – Hraasa Universal changes pertaining to the growth & destruction. भरत और ऐरावत क्षोत्तों में षटगुण हानि वृद्धि– हास रूप परिवर्तन जिसे उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी काल के नाम से जाना जाता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संसिद्धि – Sansiddhi. Completion of any work. किसी कार्य का निष्पन्न या पूर्ण होना ” सिद्ध, साधित, आराधित और संसिद्धि शब्द एकार्थवाची हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विविक्त – Vivikta. Isolated, Solitary, Lonely, Separated. अकेला, एकाकी, निर्दोष “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचयम – Panchayama. Abandoning of all five sinful activities. पाँचों पापों का पूर्णरूप से त्याग करना “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मृत्तिकाभक्षण दंड–Mrattikabhakshan Dand. A type of punishment to cause the wrong doer to eat soil. दंड व्यवस्था का एक भेद; अपराधी को दंड स्वरुप मिट्टी का भक्षण कराया जाना”
उभय Two dimensional, Having two sides, Both . द्विविमीय जिसकी दो विमायें हों दोनों प्रकार का।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लवणसागर – मध्यलोक का प्रथम सागर खारे जल वाला होने से इसका नाम लवणोदधि है। Lavanasagara- The first ocean of middle universe, containing salty water
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वस्तुविद्या – Vastuvidyaa.: Name of a treatise written y Acharya Vasunandi. आचार्य वसुनंदि कृत एक ग्रन्थ “समय –ई .श.11 “
उष्मगर्भकूट Less eating of diet, Small fasting . मानुषोत्तर पर्वत का एक कूट।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लब्धिसंवेग संम्पन्नता – तीर्थकर कर्मबंध का छठा कारण रत्नत्रय जनित हर्श का नाम लब्धिसंवेग है। Labdhisamvega Sampannata-A kind of super enjoyment pertaining to Tirthankar (Jaina-Lord)