पुद्गलावर्त!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुद्गलावर्त – Pudgalavarta. A time unit. काल का एक प्रमाण “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुद्गलावर्त – Pudgalavarta. A time unit. काल का एक प्रमाण “
उत्तरप्रकृति Secondary karmic nature, Secondary species (of Karmas). मूल कर्म 8 हैं उनकी भेदरूप 184 कर्म प्रकृतियाँ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भविष्यवाणी – Bhavisyavani. Predictions, prophesy. भविष्य में होने वाली शुभ –अशुभ आदि घटनाओं का वर्तमान में उल्लेख करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाज्य – Bhajya. Divisible, Portion, Dividend. वह संख्या जो भाजक द्वारा भाग दी जाती है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वामन मुनि –Vaamana Muni.: Name of a writer of ‘Memandra Puran’(a treatise). मेमंदर पुराण के रचयिता “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुण्यप्रकृति – Punyaprakrti. Meritorious Karmic nature (are 68 in Jaina philosophy). कर्मों की ६८ प्रकृतियाँ पुण्यरूप हैं, साता वेदनीय, नरकायु के बिना तीन आयु, उच्चगोत्र, मनुष्यदिक्, देवदिक्, पाँच शरीर आदि “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विष्णुनंदि –Visnunandi. Name of an omniscient after Lord Mahavira. भगवान महावीर के बाद हुए पंचम श्रुतकेवली, समय – ई. पू. ४६५-४५१, अपरनाम नंदि था “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंजिका – Panjikaa. A descriptive book of odd items. वृत्तिसूत्रों के विषम पदों को स्पष्ट करने वाले विवरण को पंजिका कहते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैरत्याग –Vairatyaga. Renunciation of mutual hostility (absence of hostility among beings is an excellence of Lord Arihant) अरहंत भगवन का देवकृत एक अतिशय, जीव पूर्व वैर को छोड़कर आपस में मैत्री भाव से रहने लगते हैं “