वाचक शब्द!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाचक शब्द – Vachaka Shabda: Words showing or explaining the meaning. पदार्थ के अर्थ को कहने वाला शब्द या शब्दमय ; शब्द के अनुसार ही अर्थ निकालना “
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[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचसंग्रह – Panchasangraha. Many books are available by the same title. इस नाम से ‘दिगम्बर प्राकृत पंचसंग्रह‘ आदि कई दिगम्बरग्रंथों का उल्लेख है” गोम्मात्सार जीवकांड, कर्मकांड, लब्धिसागर क्षपणासार और त्रिलोकसार एन पांच ग्रंथों को भी पंचसंग्रह संज्ञा है “
ई The fourth vowel of the Devanagari syllabary. देवनागरी वर्णमाला का चतुर्थ स्वर।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाक्य – Vaakya.: Sentence (group of meaningful words). पदों का समूह “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचरत्नवृष्टि – Pancharatnavrishti. Showering of jewels by details where thirthankar takes meals. तीर्थंकरोंको आहार देने वालों के घर देवों के द्वारा की जाने वाली 5 प्रकार के रत्नों की वृष्टि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रजतप्रभ – कुंडलवर पर्वत के दक्षिण दिषा का प्रथम कूट Rajata Prabha-Name of the first summit of southern Kundalvar mountain
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == शास्त्र : == आलोचनागोचरे हार्थे शास्त्रं तृतीयलोचनं पुरुषाणाम्। —नीतिवाक्यामृत : ५-३५ आलोचना योग्य पदार्थों को जानने के लिए शास्त्र मनुष्य का तीसरा नेत्र है। अत: शास्त्र का स्वाध्याय करते रहना चाहिए।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचपरिवर्तन – Panchparivartana. Five kinds of natural changes related to matter region, time, realm of life and emotions. द्रव्य, क्षेत्र, काल एवं भाव में परिवर्तन “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वस्तुसमास – Vastusamaasa.: Name of the 18th part of scriptural knowledge (Shrutgyan). श्रुतज्ञान के 20 भेदों में 18 वां भेद “
उभयबंध Bilateral bondage (of body with soul and karmas). जीव और कर्म का परस्पर में एक दूसरे की अपेक्षा से होने वाला बंध।[[श्रेणी:शब्दकोष]]