विनयोपसंयत!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विनयोपसंयत – Vinayopasamyata. Reverential & respectful welcome (of saints rtc.). अन्य संघ से आये हुए मुनियों को आसनदान, प्रियवचन, पुस्तक आदि दान करके आदर करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विनयोपसंयत – Vinayopasamyata. Reverential & respectful welcome (of saints rtc.). अन्य संघ से आये हुए मुनियों को आसनदान, प्रियवचन, पुस्तक आदि दान करके आदर करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्मसाम्पराय शुद्धि संयत – Sukshmasaamparaaya Suddhi Samnyata. One with minute passions (towards purity). मोहकर्म का उपशमन या क्षपण करने वाले जिस साधु के मात्र संज्वलन लोभ रूप सूक्ष्म कषाय शेष रह जाती है वह सूक्ष्म सांपराय संयत कहलाता है।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == स्कन्ध : == द्विप्रदेशादय स्कन्धा: सूक्ष्मा वा बादरा: संस्थाना:। पृथिवीजलतेजोवायव:, स्वकपरिणामैर्जायन्ते।। —समणसुत्त : ६५३ द्विप्रदेशी आदि सारे सूक्ष्म और बादर (स्थूल) स्कनध अपने परिणमन के द्वारा पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु के रूप में अनेक आकार वाले बन जाते हैं। अवगाढगाढनिचित: पुद्गलकायै: सर्वतो लोक:। सूक्ष्मैबार्दरैश्चाप्रायोग्यै:।। —समणसुत्त : ६५४ यह…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संसरण – Sansarana. Movement, Worldly wandering, birth & death cycle of beings. गमन, संसार में जन्म मरण करने का नाम संसरण है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्मकायिक जीव – Sukshamakaayika Jeeva. Micro organism, one-sensed beings etc. वे एकेन्द्रिय जीव जो सर्व लोक में व्याप्त हैं एवं जिनकी गति का जल-स्थल आदि के द्वारा प्रतिघात नहीं होता है अर्थात् जो न किसी को रोकते है ओर न किसी से रूकते (बाधित) है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] न्यायविनिश्चयविवरण – Nyaayvinischyavivrna. Name of a book. एक न्यायविविषयक ग्रंथ “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव स्थिति – Bhava Sthiti. Constant nature. जिसका जो स्वभाव है उससे च्युत न होना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुषमादुषमा काल – Sushamaa-Dushamaa Kaala. Pleasant & sorrowful long period of woridily cycle ( the 3nd of Avasarpini Kal & the 4th of Utsarpini Kal According to Jaina Philosoph) अवसर्पिणी के तृतीय काल और उत्सर्पिणी के चतुर्थ काल का नाम । इसका काल 2 कोड़ाकोड़ी सागर प्रमाण है। इस समय जघन्य भोगभूमि रहती है,…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भवविचय – Bhavavicaya. Right meditation on materialistic world or cycle of birth. सातवाँ धर्मध्यान; भव – संसार सदैव दुःख रूप ही है’ ऐसा चिंतन करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संवृति सत्य – Sanvrti Satya. A type of true speech, denoting one prominent among many objects. सत्य वचन के 10 भेदों में एक भेद ” समुदाय को एक देश की मुख्यता से एक रूप कहना ” जैसे-जहां अनेक वाद्यों का शब्द एक समूह में हो रहा है वहां भेरी आदि की मुख्यता से भेरी…