संकल्प!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संकल्प – Sankalpa. Resolution, Determination, Will. प्रतिज्ञा, कामनाशक्ति, चेतन-अचेतन आदि पदार्थो में ‘ये मेरे हैं’ ऐसी कल्पना करना संकल्प है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संकल्प – Sankalpa. Resolution, Determination, Will. प्रतिज्ञा, कामनाशक्ति, चेतन-अचेतन आदि पदार्थो में ‘ये मेरे हैं’ ऐसी कल्पना करना संकल्प है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षोडश स्वप्न – Sodasha Svapna. Sixteen auspicious meaningful dreams seen by Tirthankar’s (Jaina Lord’s) mother. तीर्थंकर माता को दिखने वाले 16 स्वप्न; ऐरावत हाथी, बैल, सिंह, दो माला, लक्ष्मी, पूर्ण चन्द्रमा, सूर्य, दो कलश, मछली युगल, सरोवर, समुद्र, सिंहासन, देवों का विमान, नागेन्द्र भवन, रत्न राशि, निर्धूम अग्नि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रियोदभव क्रिया- गृहस्थ की 53 क्रियाओं में एक क्रिया; प्रसूति होने पर जातकर्मरुप मन्त्र व पूजन आदि का बड़ा पमजन-विधान आदि करना। Priyodbhava kriya- To organize an auspicious & reverential celebration (pujan vidhan) on the birth of a child ( a duty of householder)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षड्द्रव्य – Saddravya. Six universal entities (Jiva-soul, Pudgal-matter, Dharma-medium of motion, Adharma-medium of rest, Akash-sky, Kal-time). छः द्रव्य – जीव,पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश, काल “
त्रींदिय जाति नामकर्म प्रकृति A karmic nature causing birth in Tiryanch destination. जिसके उदय से स्पर्शन , रसना , घ्राणा इन तीन इन्द्रियधारी तिर्यंचों में जन्म हो। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संभाषण – Sanbhaashana. Conversation, Dialogue. कथोपकथन, बातचीत “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्वेताम्बर संघ – Shvetaambara Sangha. Group of Shvetambar Jain saints. गोपुच्छक, श्वेताम्बर, द्रविड़, यापनीय, निष्पिच्छ इन 5 जैनाभासी संघो में एक संघ “
चतुःस्थानीय The actual fruition of the Karmic matters having strong or mild attributes. अनुभाग बंध ; प्रशस्त कर्म प्रकृतियों का गुड़ , खाण्ड , शक्रा और अमृत रूप एवं अप्रशास्ता कर्म प्रकृतियों का लाता , दारू , अस्थि , शैलरूप अनुभाग बंध चतुःस्थानीय कहलाता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रोत्रज मतिज्ञान – Shrotraja Matigyaana. Sensory knowledge acquired through speech. सुनकर प्राप्त किया गया ज्ञान “