सरस!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सरस – Sarasa. Juicy, tasty, charming, name of the 2nd patal (layer) & Indrak of Brahma heaven. रसयुक्त, स्वादिष्ट, मनेाहर, भावपूर्ण, ब्रह्म स्वर्ग का द्वितीय पटल व इन्द्रक।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सरस – Sarasa. Juicy, tasty, charming, name of the 2nd patal (layer) & Indrak of Brahma heaven. रसयुक्त, स्वादिष्ट, मनेाहर, भावपूर्ण, ब्रह्म स्वर्ग का द्वितीय पटल व इन्द्रक।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वृद्धि – हानि – Vrddhi – Haani Increasing & decreasing (pertaining to clairvoyance and 6 particular virtues etc.) षटगुण हानि वृद्धि; अविभाग प्रतिच्छेदों मे वृद्धी हानि का नाम ही षटगुण हानि व्रद्धि हैं, क्षयोपशम अवधिज्ञान के भेद, वर्धमान और हियमान” जो विशुद्ध परिणामों से बढता है वह वर्धमान एवं जो संक्लेश परीणामो…
चारित्राराधना A type of observance of right conduct. ४ आराधनाओं में एक भेद ; सम्यक् चारित्र को यथायोग्य रीति से दृढ़तापूर्वक धारण करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यग्दृष्टि – Samyagdrishti. One with right perception or faith. जो जीव सम्यग्दर्षन सहित हो।
छन्दोबिंदु A prosody written by Nagvarm. नामवर्ग (ई. सन् ९९०) द्वारा रचित एक छंदशास्त्र ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
त्रिभुवनचूडामणि Two Siddhayatana summits of Bhadrashal forest. भद्रशाल वन में स्थित दो सिद्धायतन कूट। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शैलघन श्रोता – Shailaghana Shrotaa. A type of unwise or imprudent listener. 14 प्रकार के श्रोताओं में एक भेद; जिनके परिणाम हमेशा कठोर रहते हैं तथा जिनके ह्रदय में समझाये जाने पर भी जिनवाणी रो जल का प्रवेश नहीं होता “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पंर्धक – Spardhaka. Group of aggregates of karmic molecules.वर्गणाओ के समूह को स्पंर्धक कहते है।
उदीरणा मरण See – Kadalighåta (Mara¿a). देखें- कदलीघात (मरण)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शेषवत अनुमान – Sheshvata Anumaan. Right anticipation of something by only partial observation of it . एक अवयव को देखने पर भी शेष अनेक अवयवों सहित सम्पूर्ण वास्तु का ज्ञान होना “