त्रिभुवनचंद्र!
त्रिभुवनचंद्र An Acharya of Kashtha sangh. काष्ठा संघ के एक आचार्य । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिभुवनचंद्र An Acharya of Kashtha sangh. काष्ठा संघ के एक आचार्य । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चूडामणि A commentary book written by Tumbulacharya, Crest jewel, A city in the north of Vijayardh mountain. तुम्बुलाचार्य द्वारा रचित कषाय – पाहड तथा षट्खन्डागम के आद्य ५ खण्डों पर कन्नड़ भाषा में ८४००० श्लोक प्रमाण एक टीका , सर का आभूषण , भरत चक्रवर्ती का चिंतामणि रत्न , विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्मेदशिखर महात्मय – Sammedashikhara Mahaatmya. A composition composed by Shrimad Yativar Devdatta. श्रीमद् यतिवर देवदत्त (श्री लोहाचार्य) द्वारा तीर्थराज सम्मेदशिखरजी की महत्ता पर संस्कृत मे रचित 21 अधिकारो मे निबद्व एक रचना।
दिग् विरति A vow of restriction pertaining to movement in particular direction. दशों दिशाओं में गमनागमन की मर्यादा करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चतुर्विंशतिसंधान काव्य A book written by Pandit Jagannath. ई. सन् १६४२ में पं . जगत्राथ द्वारा रचित एक ग्रन्थ ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्त्रीमुक्ति – Strimukti. Salvation of female jaina saints (which is not possible according to Digambar Jaina philosophy).स्त्री मुक्ति का आगम मे निषेध है। पुरुष, स्त्री एंव नपुंसक तीनो ही भाव लिंगो से मोक्ष सम्भव है लेकिन द्रव्य से केवल पुरुषवेद से ही मोक्ष होता है।
दानवीर्य The main interrogator in the assembly of Lord Suparshvanath. सुपाश्र्वनाथ भगवान के समवसरण के मुख्य श्रोता (प्रश्नकर्ता) का नाम। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चतुर्मास Particular four months of rainy season (staying time of Jain-saints at a place with some restrictions). वर्षाऋतु के ४ मॉस, वर्षायोग , आशाढ सुदी १४ सेर कार्तिक वादी चतुर्दशी की पिच्छली रात्रि में(अर्थात् साढ़े तीन मॉस में) वर्षायोग समापन क्रिया की जाती है फिर भी व्यव्जहार में कार्तिक सुदी १४ तक साधु प्रायः एकल…
[[श्रेणी: शब्दकोष]] स्वभाव गति – Svabhaava Gati. Movement of salvated soul. उध्र्वगति जीव की स्वभाव गति है।