कैलाश पर्वत की मंगल आरती
कैलाश पर्वत की मंगल आरती मैं तो आरती उतारूँ रे, कैलाश गिरिवर की। जय जय कैलाशगिरि, जय जय जय-२।।टेक.।। युग की आदी में प्रभु ऋषभदेव, इस गिरि पर पहुँचे। इस गिरि... अपने योगों का करके निरोध, मुक्तिपुरी पहुँचे।। मुक्तिपुरी...... इन्द्रों ने झूम-झूम, नृत्य किया धूम-धूम, उत्सव मनाया रे, हो निर्वाण उत्सव मनाया रे।मैं तो..............।।१।। चक्रवर्ती...