उपसर्गविजयि श्रीपार्श्वनाथ जिनस्तुति:
उपसर्गविजयि श्रीपार्श्वनाथ जिनस्तुति: लेखिका— गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी उपजातिछंद: कल्याणकल्पद्रुमसारभूतं, चिंतामणिं चिंतितदानदक्षम्। श्रीपार्श्वनाथस्य सुपादपद्मं, नमामि भक्त्या परया मुदा च।।१।। जो कल्याण कल्पतरु सार-भूत चिंतामणि चिंतितदा। श्रीपारस प्रभु पादकमल को, भक्तिभाव से नमूँ मुदा।। ध्याने स्थितो यो बहिरंतरंगं, त्यक्त्वोपधिं तत्र तदा जिनस्य। मातामह: स्यात् कमठासुरोऽसौ, अभूत् कुदेव: कुतपोऽभिरेव।।२।। अंतर्बहि: परिग्रह तजकर, ध्यान लीन जब खड़े प्रभो!।...