आत्मनिन्दन!
आत्मनिन्दन Self – condemnation. सम्यग्दृष्टि के द्वारा अपने दोषों की स्वयं निन्दा और गर्हा करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आत्मनिन्दन Self – condemnation. सम्यग्दृष्टि के द्वारा अपने दोषों की स्वयं निन्दा और गर्हा करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मोक्षसप्तमी व्रत–Mokshasaptami Vrat. A famous fasting of Jains to be observed for 7 years. 7 वर्ष पर्यन्त प्रतिवर्ष श्रावण शु. 7(पार्श्वनाथभगवान् का मोक्षकल्याडक दिवस) को उपवास करना”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बाधा- इष्ट पदार्थो की उपलब्धि में अंतराय। Badha- Obstacle, Restriction, Difficulty
ईशित्व ऋद्धि A miraculous power of supremacy. जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु को सारे जगत पर प्रभुत्व करने की शक्ति प्राप्त हो।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संवेदनी कथा – Sanvedanee Kathaa. Tale creating religious sentiments. पुण्य के फल का कथन करने वाली अर्थात् धर्मानुराग बढ़ाने वाली कथा “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संगीत समयसार – Sangeeta Samayasaara. Name of a book written by Parshvadev on music. पार्श्वदेव द्वारा (ई.श. 12 अंतपाद) संगीत शास्त्र विषयक संस्कृत भाषाबद्ध रचना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रस्ताव- अभिमत, प्रमाण के फलरुप से जिसका ग्रहण किया जाता है ऐसा हेयोपादेय तŸव का निर्णय प्रस्ताव है। Prastava- proposal, suggestion
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रघुनाथ – न्यायदर्षन में नव्यन्याय के प्रसिद्ध प्रणेता, श्रीरामचन्द्र जी का अपरनाम। Raghunatha-Name of a great judiciary founder, Another name of Shri Ram
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रश्नव्याकरण- द्वादषांग श्रुतज्ञान का दसवां अंग; जिसमें युä अिैर नयों के द्वारा अनेक प्रष्नों का उत्तर दिया गया है। Prasnavyakarana- A type of scriptural knowledge pertaining to answering the question
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूपगताचूलिका – द्वादषांग श्रुतज्ञान के दृश्टिवाद अंग के 5 भेदो मे चूलिका कर एक उपभेद।जिसमें सिंह आदि आकृति धारण करने के मंत्र – तंत्र का वर्णन है। Rupagataculika-A type of scriptural knowledge (Shrutgyan) containing description of mystical theory