त्वचा!
त्वचा Skin, Bark. वृक्ष, गच्छ या स्कन्धों की छाल, चमड़ी। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिबिंबवत् – Pratibinbavata. As similar to an image. प्रतिबिंब के समान “
त्रींदिय जाति नामकर्म प्रकृति A karmic nature causing birth in Tiryanch destination. जिसके उदय से स्पर्शन , रसना , घ्राणा इन तीन इन्द्रियधारी तिर्यंचों में जन्म हो। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिपातस्थान – Pratipaatasthaana. Falling stage pertaining to abstinence. जिस स्थान पर जीव मिथ्यात्व, असंयम, सम्यत्तव अथवा संयमासंयम को प्राप्त होता है वह प्रतिपातस्थान है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिज्ञा – Pratigyaa. Provable proposition, solemn declaration. Resolution. अनुमान के 5 अंगों में एक अंग; पक्ष और साध्य का कहना “
चतुःस्थानीय The actual fruition of the Karmic matters having strong or mild attributes. अनुभाग बंध ; प्रशस्त कर्म प्रकृतियों का गुड़ , खाण्ड , शक्रा और अमृत रूप एवं अप्रशास्ता कर्म प्रकृतियों का लाता , दारू , अस्थि , शैलरूप अनुभाग बंध चतुःस्थानीय कहलाता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राणियोग – Praniyoga. Vibration in soul points caused due to the activities of mind, speech & body. मन, वचन और काय से युक्त जीव के प्रदेशों का परिस्पन्दनरूप योग “
त्रिलोकव्याप्त One who is diffused in all three worlds. जो तीनों लोकों में व्याप्त है , लोकपूरण समुदघात, केवली भगवान के आत्मप्रदेशों का घनलोकप्रमाण सर्वलोक में फैल जाना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुष्पचारण ॠध्दि – Puspacarana Rddhi. A type of supernatural power, moving over the flower-life without harming them. एक ऋद्धि; इस ऋद्धि से पुष्पों और उनमें रहने वाले जीवों को क्षति पहुंचाये बिना पुष्पों पर गमन के सकते हैं “
दासीदास प्रमाणातिक्रम An infraction of possessional limitation of keeping servents.परिग्रह परिमाणव्रत का एक अतिचार, दास दासी के लिए हुए प्रमाण का उल्ंलघन करना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]