विशिष्ट पद!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशिष्ट पद – Vishishta.Pada. A kind of dicquisition door . पदमीमांसा आदि अनुयोगद्वारा के उत्क्रष्टादि भेद पदों के १३ भेदों में से एक भेद “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशिष्ट पद – Vishishta.Pada. A kind of dicquisition door . पदमीमांसा आदि अनुयोगद्वारा के उत्क्रष्टादि भेद पदों के १३ भेदों में से एक भेद “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हतहत समुत्पत्तिक – Hatahata Samutpattika. The karmic places originated after the redestruction of relative destructed karmas. धाते हुए का पुनः धात किये जाने पर जिन सत्कर्म अर्थात् सत्ता मे विधमान कर्म की उत्पत्ति होती है उन्हे हतहत समुत्पत्तिक कहते है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परपीड़ा कथा:Talk,painful to others.पर को पीडा पहुॅचाने वाली कथा ।
द्वितीय वर्ग Square of first square (mathematically). प्रथम वर्ग का पुनः वर्ग करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वेदज – Svedaja. Beings born by sweat. पसीने से उत्पन्न होने वाले सम्मूर्छन जीव।
द्वारवंग A place, present Darbhanga district. वर्तमान दरभंगा जिला। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वाभाविक क्रिया – Svaabhaavika Kriyaa. Natural activities of matter. स्वतः अनादिसिद्व सत् द्रव्य मे परिणमनशीलता के कारण होने वाले दो क्रियाओ मे एक क्रिया। शुद्व या बंध रहित जीव व पुद्गल द्र्रव्य की किं्रया स्वाभाविक क्रिया है।
आर्यनंदि Disciple of ‘Acharya Chandrasen’ and spiritual guide of Veersen ji. पंचस्तूप संघ की पट्टावली के अनुसार चंद्रासेन के शिष्य तथा वीरसेन (धवलाकार) के गुरू थे (ई.767-798)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] साक्षात् प्रत्यक्ष हेतु – Sakshaat Pratyaksha Hetu. A direct cause causing immediate result as the evolution of knowledge with destruction if ignorance. प्रत्यक्ष हेतु के दो भेदो मे एक भेद। अज्ञान का विनाष ज्ञानरुपी दिवाकर की उत्पत्ति, देव मनुष्यादिको के द्वारा निरन्तर की जाने वाली विविध प्रकार की अभ्यर्थना और प्रत्येक समय होने वाली…