रविचंद्र!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रविचंद्र – नंदीसंैघ देषीयगण के एक आचार्य का नाम, आनाधनासार समुच्चय के रचियता आचार्य ं। Ravicandra- Name of an Acharya of Nandi group An another acharya the writer of Aradhanasar Samuchchaya
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रविचंद्र – नंदीसंैघ देषीयगण के एक आचार्य का नाम, आनाधनासार समुच्चय के रचियता आचार्य ं। Ravicandra- Name of an Acharya of Nandi group An another acharya the writer of Aradhanasar Samuchchaya
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुर्यप्रज्ञप्ति – Suryapragyaapti. A part of scriptural knowledge containin description about the Sun (reg. its age, movement, family etc.) अंगश्रुत का एक भेद । दृष्टिवाद के प्रथम भेद परिकर्म में 5 प्रज्ञप्तियों का वर्णन है, उसमे यह दूसरी प्रज्ञप्ति है। इसमें 5 लाख 3 हजार पदो के द्वारा सूर्य की आयु, परिवार, वैभव, गति…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंच अनुमानावयव – Pancha Anumaanaavayava. Five elements of apprehensive sentences. प्रतिज्ञा, हेतु, उदाहारण, उपनय और निगमन ये अनुमान वाक्य के पंच अवयव है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रसना इन्द्रिय – 5 इन्द्रियों में दूसरी इन्द्री जिव्हा। जिसके द्वारा स्वाद का ज्ञान होता है। Rasana Imdriya-Tongue, sensory organ of taste
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूरकीर्ति – Soorakeertee. Name of Bhattarak of Nandi group. न्ंदिसंघ बलात्कारगण वारां गद्दी के एक भट्टारक भावनंदि के शिष्य , विद्याचन्द्र के गुरू । समय वि0सं0 1167 ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंकप्रभा – Pankaprabhaa. That (4th) earth which has the colour of clay or mud. चतुर्थ नरक भूमि; जिसकी प्रभा कीचड़ के समान है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रसगारव – छ रस सहित भोजन मिलने का अभिमान। Rasagarava- pride of having tasty food
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाजनांग जातीय कल्पवृक्ष – Bhajanamga Jatiya Kalpavrksa. A type of wish fulfilling trees (providing uten-sils). भोगभूमि में पाये जाने वाले १० कल्पवृक्षों में एक, यह कल्पवृक्ष सुवर्ण एंव बहुत से रत्नों से निमित धवल झारी, कलश, गागर आदि बर्तन प्रदान करने वाला होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पिहितास्त्रव – Pihitasrava. Name of the father of Tirthankar (Jaina- Lord) Padmaprabh- Suparshvanath in past birth, Name of a Digambar Acharya. तीर्थंकर पद्मप्रभ, सुपार्श्वनाथ के पूर्व भाव के पिता, एक दिगाम्बराचार्य “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्मसाम्पराय संयम – Sukshmasaamparaaya Sanyama. Restraints with minute greediness. मोहकर्म का उपशमन या क्षपण करते हुए सूक्ष्म लोभ का वेदन करना सूक्ष्मसांपराय संयम हैं और धारक महामुनि सूक्ष्मसांपराय संयत कहलाते है।