भोगांतराय कर्म!
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भोगांतराय कर्म:Obstructive Karma in the way of worldly enjoyments. अंतराय कर्म का एक भेद; जिस कर्म के उदय से जीव भोगने की इच्छा करता हुआ भी नहीं भोग पाता “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भोगांतराय कर्म:Obstructive Karma in the way of worldly enjoyments. अंतराय कर्म का एक भेद; जिस कर्म के उदय से जीव भोगने की इच्छा करता हुआ भी नहीं भोग पाता “
उपकरण संयोगाधिकरण Contrary connection (or mixing) of requisites. ठंडे बर्तन में गर्म वस्तु डालना गर्म में ठंडी वस्तु डालना आदि।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
ग्रहाङ्ग A type of wish fulfilling trees (Kalpavrikshas). कल्पवृक्षों का एक भेद; जो आवश्यकतानुसार राजमहल , सभाग्रह आदि देते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
”गिरिदारिणी” A divine power possessed by ‘Ravan’. रावण को प्राप्त एक विद्या ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
गिरिकूट A mountain of Bharat kshetra ( a region) near Eravati river. ऐरावत नदी के पास स्थित भरत क्षेत्र का एक पर्वत ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पूर्वांग – Poorvaanga. A particular long time period. काल का एक प्रमाण विशेष ” 84 लाख वर्ष प्रमाण काल “
गतिगति-अगति(गुणस्थान प्राप्ति) Probability of getting any body form (Gati) after dying from one spiritual stage (Gunsthan). गुणस्थान से गति सामान्य अर्थात् किस गुणस्थान से मरकर जीव जिस गति में उत्पन्न हो सकता है और किसमें नहीं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पूर्वभाव प्रज्ञापन नय – Poorvabhaava Pragyaapana Naya. See – Poorva Pragyaapana Naya. देखें – पूर्व प्रज्ञापन नय “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पूर्णभद्र (देव) – Poornabhadra (Deva). A type of peripatetic deity of ‘Yaksha jati (caste)’, Name of ruling deity and protecting deity of Purnabhadra summit of Vijayardh and malyavan Gajdant mountains respectively. यक्ष जाति के व्यन्तर देवों (5 क्षेत्रपालों में एक) का एक भेद ” विजयार्ध एवं माल्यवान गजदंत पर्वत स्थित क्रमशः पूर्णभद्र कूट के…