श्रोत्र (इंद्रिय)!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रोत्र (इंद्रिय) – Shrotra (Indriya). Ears, the hearing organ of the body. कर्ण इन्द्रिय “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रोत्र (इंद्रिय) – Shrotra (Indriya). Ears, the hearing organ of the body. कर्ण इन्द्रिय “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रावचन – श्रुतज्ञान का अपरनाम। प्रवचन अर्थात प्रकृश्ट शब्द समूह द्वारा होने वाला ज्ञान या द्रव्यश्रुत प्रावचन कहलाता है। Pravacana- Another name of shrutgyan (scriptural knowledge)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रुतस्कंध – Shrutaskandha. The Dwadshang Shrut (12 specified parts of scriptual knowledge). जिनभाषित और गणधर द्वारा रचित द्वादशांग श्रुत “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सत्ता – Sattaa. See- Sat. देखें- सत् ” अस्तित्व को सत्ता कहते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लक्ष्य लक्षण संबंध – संबंध का एक भेद। धर्म धर्मी में संबंध। Laksya Laksana Sambamdha-A relative factor
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रुत – Shruta. The scriptural knowledge, Something listened. द्वादशांग, सुना हुआ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्त नोकर्म द्रव्य बंधक – Sachitta Nokarma Dravya Bandhaka. Those who fasten animals. बंधक का एक भेद; जैसे हाथी बांधने वाले इत्यादि “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भवप्रत्ययिक – Bhavapratyayika. Inherent clairvoyance – a type of clairvoyance (Avadhigyan). अवधिज्ञान के दो भेदों में प्रथम भेद; इसके होने में मुख्य रूप से भव निमित्त होता है , देव – नारकी जीवों को यह ज्ञान जन्म से ही होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लघिना ऋद्धि – विक्रिया ऋशि का एक भेद, जिस ऋशि के प्रभाव से साधु अपने षरीर को वायु से भी हल्का बनाने मेे समर्थ थे। Laghima Rdhhi-A type of super natural power pertaining to turning body lighter than air
इंद्रिय मार्गणा Investigation of senses. एकेन्द्रियादि जाति नामकर्म के उदय से जीव की जो एकेन्द्रिय आदि अवस्था होती है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]