नेमिचंद्रिका!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नेमिचंद्रिका – Nemichandrikaa. A book written by Pandit Manranglal. पं. मनरंगलाल (ई.1800-1832) कृत एक ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नेमिचंद्रिका – Nemichandrikaa. A book written by Pandit Manranglal. पं. मनरंगलाल (ई.1800-1832) कृत एक ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पद्मनाभ: Past-birth name of Lord Chandraprabhu, Father’s name of Chakravarti, Harishen, Another name of Ramchandraji. पूर्व धातकीखं डमें मंगलावती देश के रत्नसंचय नामक नगर कमे राजा कनकप्रभ का पुत्र, जो कि समाधिपूर्वक वैजयन्त विमान में अहमिन्द्र हुआ यह चन्द्रप्रभु भगवान के पूर्व का दूसरा भव है जिसमें उन्होंने तीर्थकर प्रकृति का बंध किया था…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति परोदय – Prakrti Parodaya. Karmic nature which binds in the fruition of other Karmic nature. ऐसी कर्म प्रक्रतियां (११) जिनका पर के उदय में बंध होता हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नीहार – Neehaara. Excreta (absence of it is an excellence of lard Arihant etc.), Heavy dew, Frost. मल-मूत्र त्याग (तीर्थंकरों के, उनके पिताओं के, बलदेवों के चक्रवर्ती के, अर्धचक्रवर्ती के, देवों के तथा भोगभूमिज के आहार होता है परन्तु नीहार नहीं होता है), ओस, कोहरा “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यशस्कांत– Yashsankat. Name of a deity of a summit of Manushattar mountain. मनुषोत्तर पर्वत के एक कूट का देव”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मिश्र प्रकृति–Mishra Prakrati. Karmic nature causing both right & wrong devotion. सम्यक–मिथियात्वरूप श्रद्धान या भाव उत्पन्न करने वाला कर्म”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नीतिवाक्यामृत – Neetivaakyaamrita. A book written by Aacharya Somdeva. आचार्य सोमदेव (ई. 943-968) द्वारा रचित एक ग्रन्थ “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पदसमास: A part of scriptural knowledge (Shrutgyan). श्रुतज्ञान के 20 भेदो मे छठा भेद, इससे पूर्व समास पर्वत समस्त द्वादषांग श्रुत स्थित है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विषय विराग – Vishaya Viraga. Renunciation of sensual enjoyments. पाँचों इन्द्रियों के सब शुख की अभिलाषा का त्याग विषय विराग है “