विपाकजा निर्जरा!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विपाकजा निर्जरा – Vipakaja Nirjara. Destruction of karmas at their appropriate time. सविपाक निर्जरा; क्रम से उदय काल आने पर कर्म का अपना फल देकर झड जाना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विपाकजा निर्जरा – Vipakaja Nirjara. Destruction of karmas at their appropriate time. सविपाक निर्जरा; क्रम से उदय काल आने पर कर्म का अपना फल देकर झड जाना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रोगराहित्य – रोगरूपी बाधा का अभाव होना। अर्हत भगवान के देवकृत अतिषयों में एक अतिषय। समवषरण में सम्पूर्ण जीवों को रोग आदि की बाधाए नही होना। Rogarahitya-Devoid of disease, an excellence of lord Arihant
खल Wicked; vicious, Threshing-floor, store of unthreshed corn. खलिहीन, दुष्ट व्यक्ति । [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पतिव्यूढ़ – Prativyoorha. Dismis, Suspension. विदा करना, भेजना, च्युत कर देना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजवृत्ति – राजा का कार्य, पक्षपात हो कुल की मर्यादा, बुद्धि और अपनी रक्षा करते हुए न्याय पूर्वक प्रजा का पालन करना राजाओं की राजवृत्ति कहलाती है। Rajavrtti-Ruling duties of a king
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिरूप – Partiroopa. See – Pratibhoota. देखें – प्रतिभूत “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ममकार – Mamakara. My-ness , A feeling of mine with worldly objects. आत्मा से भिन्न पर पदार्थों में मेरेपन का भाव ममकार हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिमा – Pratimaa. Idol of lord, Eleven Stages of renunciation of a house holder (shravak). मूर्ति रूप प्रतिमा, श्रावक की 11 प्रतिमाएं “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सम्यक् दर्शन : == सम्मद्दंसणलंभो वरं खु तेलोक्कलंभादो। —भगवती आराधना : ७४२ सम्यक् दर्शन की प्राप्ति तीन लोक के ऐश्वर्य से भी श्रेष्ठ है। यथार्थतत्त्व श्रद्धा सम्यक्त्वम्। —जैन सिद्धान्त दीपिका : ५-३ जीवादि तत्त्वों की यथार्थश्रद्धा (सम्यक्—विचार) करना सम्यक् दर्शन है। दर्शनभ्रष्टा: भ्रष्टा:, दर्शनभ्रष्टस्य नास्ति निर्वाणम्। सिध्यन्ति चरितभ्रष्टा:,…
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भेदाभेद विपया॔स :A kind of reversal knowledge. कारण-कार्य व भेद-अभेद का उल्टा ज्ञान “