रविशेण!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रविशेण – वि सं 734 में पùपुराण के रचियता एक आचार्य। Ravisena- name of an Acharya who wrote Jain Ramayan called as ‘Padmapuarn’
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रविशेण – वि सं 734 में पùपुराण के रचियता एक आचार्य। Ravisena- name of an Acharya who wrote Jain Ramayan called as ‘Padmapuarn’
दशलक्षण व्रत विधि एवं पूजा दशलाक्षणिकव्रते भाद्रपदमासे शुक्ले श्रीपंचमीदिने प्रोषध: कार्य:, सर्वगृहारम्भं परित्यज्य जिनालये गत्वा पूजार्चनादिकञ्च कार्यम्। चतुर्विंशतिकां प्रतिमां समारोप्य जिनास्पदे दशलाक्षणिकं यन्त्रं तदग्रे ध्रियते, ततश्च स्नपनं कुर्यात्, भव्य: मोक्षाभिलाषी अष्टधापूजनद्रव्यै: जिनं पूजयेत्। पंचमीदिनमारभ्य चतुर्दशीपर्यन्तं व्रतं कार्यम्, ब्रह्मचर्यविधिना स्थातव्यम्। इदं व्रतं दशवर्षपर्यन्तं करणीयम्, ततश्चोद्यापनं कुर्यात्। अथवा दशोपवासा: कार्या:। अथवा पंचमीचतुर्दश्योरुपवासद्वयं शेषमेकाशनमिति केषाञ्चिन्मतम्, तत्तु शक्तिहीनतयाङ्गीकृतं न…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतीघात- pratighata Obstruction hinderance प्रतिबन्ध या बाधा।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रसायन – विधिपूर्वक सोना अदि धातुओं से बनायी गयी औशधी वर्तमान में खनिज एवं वनस्पति आदिक से जो औशधिया बनती है इन्हें भी रसायन कहते है। Rasayana-Ayurvedic medicines
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूमिपाल – Bhumipala. Father’s name of the 17th Teerthankar (Jaina- Lord) situated in videh kshetra (region). विदेह क्षेत्र में स्थित १७ वें तीर्थकर वीरसेन’ के पिता का नाम “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वस्थान गुणकार – Svasthaana Gunakaara. Multiple results of karmas related to the span of Krishties. प्रत्येक संग्रहकृष्टि के अन्तर्गत प्रथम अंतरकृष्टि से अंतिम अंतरकृष्टि पर्यन्त अनुभाग अनंत-अनंतगुणा है परन्तु सर्व इस अनन्त गुणकार का प्रमाण समान है, इसे स्वस्थान गुणकार कहते है।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सिद्ध : == अष्टविधकर्मविकला:, निष्ठितकार्या: प्रनष्ट—संसारा:। दृष्टसकलार्थसारा:, सिद्धा सिद्धिं मम दिशन्तु।। —समणसुत्त : ८ अष्ट कर्मों से रहित, कृतकृत्य, जन्म—मृत्यु के चक्र से मुक्त तथा सकल तत्त्वार्थ के द्रष्टा सिद्ध मुझे सिद्धि प्रदान करें। सिद्धात्मा निर्विकल्पोऽप्रतिहतमहिमा शश्वदानन्दधाम। —ज्ञानार्णव : ३९-७९ सिद्ध परमात्मा समस्त विकल्पों से रहित, अबाधित महिमा…
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वर्ण सुहागिनी – Svarna Suhaaginii. A special fortunate married woman, whose parents, in law, husband & son all are alive. She gets the golden chance to prepare Kalkachurna (liquefied powdered compound of sandal etc.) for Tilakdaan in Panchalyanak Pratishtha. एक विषेष सौभाग्यवती महिला, जिसके माता-पिता, सास ससुर, पति-पुत्र जीवित हो। इनके द्वारा पंचकल्याणक प्रतिष्ठा…
णेमिणाहचरिउ A book written by Acharya Amarkirti. आचार्य अमरकीर्ति (ई.सन् 1187) द्वारा रचित एक ग्रंथ। [[श्रेणी:शब्दकोष]]