संसार!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संसार- Sansaara. World, Wordly wandering through birth & death cycle. कर्म के विपाक के वश से आत्मा को भवांतर की प्राप्ति होना संसार है (चारों गतियों में भ्रमण होना) “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संसार- Sansaara. World, Wordly wandering through birth & death cycle. कर्म के विपाक के वश से आत्मा को भवांतर की प्राप्ति होना संसार है (चारों गतियों में भ्रमण होना) “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वसुधारक – Vasudhaaraka.: Grainary or store house, one of the dominions of Chakravarti (emperor) Bharatesh. चक्रवर्ती भरतेश की विभूति कोठार का नाम “
उभयसारी ऋद्धि Bilateral purity in words and its meaning. पदानुसारी बुद्धि ऋद्धि का एक भेद- जिसके प्रभाव से नियम अथवा अनियम से एक बीजशब्द के उपरिम और अधस्तन ग्रंथ को एक साथ जाना जा सके।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वल्लरि छेदना – Vallari Chedanaa.: Cutting of trees, Piercing the trees. छेदना के 10 भेदों में एक भेद ; कुठार आदि द्वारा जंगल के वृक्ष आदि का खंड करना “
उपान्त्य समय Instant before the last time . अंतिम से पूर्व का समय।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभुत्व शक्ति – Vibhutva Sakti. The supreme thought which is pervaded every where. सर्व भावों में व्यापक ऐसी एक भाव रूप शक्ति ” जैसे – ज्ञानरूपी एक भाव सर्व भावों में व्याप्त होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्द्धमानसागर (मुनि) – Varddhamaanasagar (Muni). Name of a Digamber Jain saint, the disciple of Charitra Chakravarti Acharya Shri Shantisagar ji Maharaj and the elder brother of his house hold life. चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज के गृहस्थावस्था के बड़े भाई ,जिन्हें अत्यंत पुरुषार्थपूर्वक आचार्य श्री ने घर से निकालकर मुनिदीक्षा प्रदान कर…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचचारित्र सिद्ध – Panchachaaritra Siddha. Beings salvated due to five kinds of right conducts (in accordance with Bhutpragyapan Naya). भूतप्रज्ञापन नय की अपेक्षा पंच चारित्र से सिद्ध होने वाले जीव “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भुजंगशाली – Bhujangashali. A type of peripatetic deities. महोरग जातिय व्यंतर देवों का एक भेद “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विवाहिता स्त्री – Vivahita Stri. Married Woman, accepted ritually. देवशास्त्रगुरु को नमस्कार कर तथा अपने भाई – बन्धुओं की साक्षीपूर्वक जिस कन्या के साथ विवाह किया जाता है वह विवाह स्त्री कहलाती है “