नो इंद्रिय प्रणिधान!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नो इंद्रिय प्रणिधान – No Indriya Pranidhaan. Passionate volitions. क्रोध, मान, माया, लोभ, हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, तथा तीनों वेड, एन के परिणाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नो इंद्रिय प्रणिधान – No Indriya Pranidhaan. Passionate volitions. क्रोध, मान, माया, लोभ, हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, तथा तीनों वेड, एन के परिणाम “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वेस्यागमन –Vesyagamana. .frequenting prostitutes, adulterous conduct. सप्तव्यसनों में एक व्यसन, व्यभिचारिणी स्त्रियों के यहाँ आना – जाना, उनसे बातचीत, लेन – देन आदि करना ” सद्ग्रह्स्त के लिय यह सर्वथा त्याज्न्य हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वज्रबाहु – Vajrabaahu The son of Vidyadhar Vinami, A king of the stream of king Vasu. विद्याधर विनमि का पुत्र , इसकी बहिन सुभद्रा चक्रवर्ती भरत के 14 रत्नों में एक स्त्री रत्न थी , राजा वसु की परम्परा में राजा दीर्घबाहु का पुत्र “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नेमिषेण – Nemishena. Disciple of Amitgati-1 and spiritual teacher of Madhavasen. अमितगति प्रथम के शिष्य तथा श्री माधवसेन के गुरु ” समय-ई.943-983 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वचनातित – Vachanaatit: See – Vachanagocharaatita . देखें – वचनगोचरातित “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नृपनंदि – Nripanandi. Name of an Aacharya contemporary to king bhoj. राजा भोज के समकालीन एक आचार्य ” समय-ई. 1021-1055 “
दान Donation. स्व- पर के उपकार के लिए आहार, औषध, ज्ञान व अभय आदि दूसरों को प्रदान करना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव अंतर – Bhava Anamta. To have knowledge of scriptures and involve- ment in it. अनन्त विषयक शास्त्र को जानना एंव वर्तमान में उसके उपयोग से उपयुक्त होना अथवा त्रिकाल जात अनंत पर्यायों से परिणत होना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नीलांजना – Neelaanjanaa. A dancing-girl at the court of Indra who caused worldly aversion to Rishabhdev. इन्द्र की अप्सरा; तीर्थंकर ऋषभदेव को वैराग्य उत्पन्न करने के लिए स्वर्ग से इन्द्रउ से लाया था “