विभाव क्रिया!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभाव क्रिया – Vibhava Kriya . Contrary activity. जीव – पुद्ग्ल द्रव्य की स्वभाव से विपरीत क्रिया “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभाव क्रिया – Vibhava Kriya . Contrary activity. जीव – पुद्ग्ल द्रव्य की स्वभाव से विपरीत क्रिया “
ढ The fourteenth consonant of the Devanagari syllabary. देवनागरी लिपि का चौदहवाँ व्यंजन अक्षर, इसका उच्चारण स्थान मूर्धा है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नाना-जीव एक-अजीव – Nana-Jiva Eka-Ajiva Pertaining to different types of living beings and one non-living beings अनेक जीव और एक अजीव ”
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सत्यवादी : == विश्वसनीयो मातेव, भवति पूज्यो गुरुरिव लोकस्य। स्वजन इव सत्यवादी, पुरुष: सर्वस्य भवति प्रिय:।। —समणसुत्त : ९५ सत्यवादी पुरुष माता की तरह विश्वसनीय, जनता के लिए गुरु की तरह पूज्य और स्वजन की भाँति सबको प्रिय होता है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विपर्यय ज्ञान – Viparyaya Jnana. Wrong knowledge or faith. एक पक्ष का निश्चय करने वाले विपरीत ज्ञान को विपर्यय कहते हैं ” जैसे – सीप में ‘यह चांदी है’ इस प्रकार का ज्ञान होना “
तथाकार Assent of the instructions of Lord Arihant. समाचार का एक भेदः जीवादि का परम्पराा से चला आया उपदेश और सूत्रादि – इनमें जो अर्हंत ने कहा वह सत्य है, ऐसा समझना। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नागहस्ती – Nagahasti Name of great saint. आचार्य पुष्पदन्त एवं भूतबली के समकक्ष के एक मुनि ” व्यग्रहस्ती के शिष्य और जीत्दंड के गुरु (समय ई. 93-162) ”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मय – Mya. Father’s name of Mandodari, A king of Yadav dynasty. मंदोदरीकेपिताकानाम , यदु (यादव) वंशकाएकराजा “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीरचर्या –Vircarya. Strict and pure conduct of Jaina saints. निग्रन्थ मुनि की निर्दोष चर्या अथार्त कठोर आचरण “