तैजस शरीर नामकर्म प्रकृति!
तैजस शरीर नामकर्म प्रकृति A type of Karmic nature causing lustre in body. जिसके उदय से तैजस वर्गणाओं का आकर्षण तैजस शरीर बनने के लिए हो। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
तैजस शरीर नामकर्म प्रकृति A type of Karmic nature causing lustre in body. जिसके उदय से तैजस वर्गणाओं का आकर्षण तैजस शरीर बनने के लिए हो। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुमतिसागर (आचार्य) – Sumatisaagara (Aachaarya). Name of Digambar Acharya of 20th Century of the tradition of Aacharya Shantisagar (Chhani). आचार्य श्री शांतिसागर जी छाणी (राज0) की परम्परा में हुए एक आचार्य (समय ई0 20 वीं शताब्दी) ।ये तेरह पंथ आम्नाय के कट्टर समर्थक हुए है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पारलौकिक भय – Parlaukika Bhaya. Fear regarding the next birth (fear of next world). ७ भयों में एक भय; मेरा दुर्गति में जन्म न हो इत्यादी प्रकार से ह्रदय का आकुलित होना “
तुलिंग A country of Bharat ksherta in Aryakhand (region). भरतक्षेत्र आर्यखण्ड का एक देश। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लेश्या – Leshya.: Karmic stain , Aura , colouration. कषाय से अनुरंजित जीव की मन वचन काय की या जो आत्मा को शुभाशुभ कर्मों से लिप्त करे ” कृष्ण , नील , कपोत , पीत ,पद्य , शुक्ल इसके ये 6 भेद है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावानंत – Bhavanamta. A kind of infinity. अनंत का एक भेद; यह आगम और नोआगम की अपेक्षा दो प्रकार का है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पाप आस्त्रव – Papa Asrava. Influx of sinful Karmas. पाप कर्मो के आने के कारणभाव- कलुषता, विषयों के प्रति लोलुपता, पर को परिताप करना आदि”
तिलोयपण्णत्ति A book written by Acharya Yativrishabh. आचार्ययतिवृषभ (ई. 143- 173)द्वारा रचित करणानुयोग का प्राकृत गाथाबद्ध अति प्राचीन प्रामाणिक ग्रंथ , जिसमें तहन लोक का विस्तृत वर्णन है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
तिर्यक् द्विक A dyad related to subhuman beings (Tiryanch). तिर्यच गति व आनुपूर्वी। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]