चतुर्णिकाय!
चतुर्णिकाय Four types of deities. भवनवासी, व्यन्तर , ज्योतिश्का , वैमानिक इन ४ निकायों के देव ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चतुर्णिकाय Four types of deities. भवनवासी, व्यन्तर , ज्योतिश्का , वैमानिक इन ४ निकायों के देव ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूत्रपाहुड़ – Sutrapaahuda. Name of a great early canon written by Acharya Kundkund. आचार्य कुन्दकुन्द (ई0 127-179)प्राकृत गाथाबद्ध ग्रन्थ । इस पर आचार्य श्रुतसागर (ई0 1473-1533) कृत संस्कृत टीका और पं0 जयचन्द्र छाबडा (ई0 1867) कृत भाषा वचनिका उपलब्ध है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंकजगंधा – Pankajagandhaa. Name of a chief female deity. एक महत्तरिकादेवी का नाम “
त्रिलोकबिंदुसार Name of 14th Purva (parts of scriptural knowledge). चैदहवां पूर्व । इसमें तीन लोक का स्वरूप , एवं बीजगणित आदि का कथन है इसके साढे 12 करोड़ पद है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूच्यंगुल – Suchyangula. A large quantity as a unit of area measurement. क्षेत्रप्रमाण का एक भेद । अद्धापल्य के अर्द्धच्छेदों का विरलन कर प्रत्येक एक के ऊपर अद्धापल्य रखकर परस्पर गुणा करने से जो राशि उत्पन्न हो उसे सूच्यंगुल कहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पिलखन फल – Pilakhana Phala. A non-edible fruit. एक अभक्ष्य फल “
एकान्त वृद्धि योगस्थान See – Ekå´tånuvro ddhi Yogasthåna. देखें – एकांतानुवृद्धि योगस्थान ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्म पदार्थ – Sukshma Padaartha. Non-perceptible matters (invisible particles etc.). सूक्ष्म अर्थात इन्द्रिय के द्वारा न जानने योग्य पदार्थ ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पिंडस्थ ध्यान – Pimdastha Dhyana. Procedural meditation on soul with different concepts. पार्थिवी आदि अनेक प्रकार की धारणाओं द्वारा अपने शरीर में स्थित आत्मा का एकाग्रचित्त होकर ध्यान करना “
देहत्रय Three kinds of body. औदारिक , तैजस , कार्मण ये तीन शरीर।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]