षड्दर्शन!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षड्दर्शन – Saddarshana. Six particular kinds of philosophies (Bauddha, Naiyayik, Sankhya, Jaina, Vaisheshik & Jaminiy). 6 दर्शन – बौद्ध, नैययिक, सांख्य, जैन, वैशेषिक तथा जैमिनीय “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षड्दर्शन – Saddarshana. Six particular kinds of philosophies (Bauddha, Naiyayik, Sankhya, Jaina, Vaisheshik & Jaminiy). 6 दर्शन – बौद्ध, नैययिक, सांख्य, जैन, वैशेषिक तथा जैमिनीय “
द्रव्य निमित्तक Circumstantial transformation of matters. द्रव्य कर्म का निमित्त पाकर क्रोधादि कषायरूप परिणमन होना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट्खंड – Satkhanda. Six parts of Bharat Kshetra (region). जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र आदि के एक आर्य व 5 म्लेच्छ खंड ” इन्ही षट् खंडो को चक्रवर्ती जीतता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंधन नामकर्म प्रकृति-शरीर नाम कर्म के उदय से प्राप्त हुए पुद्गलों का अन्योन्य प्रदेश संश्लेष जिसके निमित्त से होता है।इसके अभाव से शरीर लकडि़यों के ढेर जैसा हो जाता है। Bandhana Namakarna Prakrti- physique making karmic nature related to bonding
द्रव्य उपक्रम A type of Upakram – a pursuance in accordance with natural matters. उपक्रम का एक भेद (उपक्रम- जो प्रकृत प्रदत्त पदार्थ के अर्थ को अपने समीप करता है)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
श्वेताम्बर – Shvetaambara. A Jaina sect originated from the division of Moolsangh (Digambar). दिगम्बर मान्यतानुसार भगवान महावीर के पश्चात् मूलसंघ दिगम्बर ही था ” बाद में (आज से लगभग दो हजार वर्ष पूर्व) उत्तर भारत में दुर्भिक्ष अकाल पड़ने के कारण कुछ शिथिलाचारी साधुओ ने स्वेताम्बर संघ की स्थापना की “
द्रविक A liquid substance or melted substance. पतला, तरल पदार्थ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रोता – Shrotaa. Listeners. धर्म को सुनने वाले पुरुष ” गुण-दोषों की अपेक्षा इनके 14 भेद हैं “
दोग्रंथिक पाहुड Supreme treatise (commandments) containing knowledge of all 12 Angas. जिन भगवान के द्वारा निर्दोष श्रेष्ठ विद्धान आचार्यों की परम्परा से भव्य जनों के लिए भेजे गये बारह अंगों के वचनों का समुदाय अथवा उनका एकदेषपरमानंद।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रुतसागरी – Shrutasaagaree. Name of a commentary book on Tattvarthvritti written by Bhattarak Shrutsagar. श्रुतसागर भट्टारक कृत तत्वार्थवृत्ति की टीका का नाम