यशोधर्मा!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] यशोधर्मा – भोजवंश के एक राजा का नाम। समय ई 1143 – 1153 Yasodharma- Name of a king of Bhoj Dynasty
[[श्रेणी:शब्दकोष]] यशोधर्मा – भोजवंश के एक राजा का नाम। समय ई 1143 – 1153 Yasodharma- Name of a king of Bhoj Dynasty
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंध वेदना- कर्मो के बंध से उत्पन्न वेदना या दु:ख। Bandha Vedana- Pain or trouble caused due to karmic binding
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजपिंड – राजा आदि विषेश धनाढय व्सक्तियो के यहां से आहार ग्रहण करना।साधुओं के लिए ऐसे आहार ग्रहण करना निशेध है। Rajapinda-Food taking from kingly or royal families (Restricted from saints)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संभ्रांत – Sanbhraanta. Confused, Agitated, Honoured, Respected, A dwelling place in the first land of hell. उद्विग्न, भ्रमित, सम्माननीय, आदरणीय, पहली धर्मा नरक पृथिवी के 13 प्रस्तारों में छठे प्रस्तार का छठा इन्द्रक बिल “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रसुक विहारी- जो साधु ग्राम में एक रात और नगर में पाँच दिन तक रहते हैं वे प्रासुक विहारी कहलाते है। Prasuka vihari- A well conducting saint (Reg. prescribed rule of staying and movement)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रेषन्दीगिरी तीर्थ – मध्यप्रदेष के छतरपुर जिले में अवस्थित एक सिद्ध क्षेत्र जहां से वरदत्त आदि मुनि मोक्ष पधारे। इस क्षेत्र का दूसरा नाम नैनागिरी भी है। Resandigiri (Tirtha)-Name of a place of pilgrimage (Siddhakshetra) of M. P. It’s another name is nainagiri
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट्चत्वारिंशत – Satcatvaarinshata. Forty six (46 virtues of Lord Arihant etc.) 46 (अर्हंत भगवान के 46 गुण, आहार के 46 दोष, वसतिका सम्बंधी 46 दोष आदि )
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंधन बद्धत्व- अनादिकाल से जीव का कर्म वंधन से बद्ध होना। Bandhana Baddhatva- binding of soul with karmas.
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रैन मंजुषा – हंसद्वीप के राजा कनककेतू की पुत्री का नाम। सहस्त्रकूट चैत्यालय के कपाट खोलने से श्रीपाल से विवाही गई थी। Raina Manjusa-The daughter of king Kanakaketu of Hansdvip (island)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संभवचरिउ – Sambhavachariu. Name of a treatise written by poet Tejapal. कवि तेजपाल द्वारा (ई. 1443) रचित यथनाम विषयक अपभ्रंश ग्रंथ “