योग संक्रान्ति!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योग संक्रान्ति – योग सक्रान्ति प्रथम षुक्लध्यान में मन वचन काय योगो का पलटना। Yoga Samkramti- Transition of all activities (related to mind speech & body) in auspicious & sacred mode
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योग संक्रान्ति – योग सक्रान्ति प्रथम षुक्लध्यान में मन वचन काय योगो का पलटना। Yoga Samkramti- Transition of all activities (related to mind speech & body) in auspicious & sacred mode
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रज्ञापनी – Pragyaapani. Most convient informatory language (easy preaching). एक भाषा; धर्मोपदेश करना ” यह भाषा अनेक लोगों को उद्देश्य कर कही जाती है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूचिर – रूचक पर्वत पर स्थित एक कूट, सौधर्म एषान स्वर्ग का 16 वां पटल व इन्द्रक। Rucira-Name of a summit of ruchak mountain, name of the 16th Patal (layer) and Indrak of Eshan heaven
[[श्रेणी:शब्दकोष]] भेदसंघात:Association-cum-dissociation related to karmic molecules. भेद अर्थात्स्कन्धों का टूटना एवं संघात होनाअर्थात्भित्र-भित्र परमाणुओं या स्कन्धों से मिलकर स्कंधों की उत्पत्ति होना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नसंचय – विजयार्घ की दक्षिण श्रेणी एवं पष्चिम विदेह क्षंेत्र के नगर का नाम Ratnasancaya- Name of a city situated in Southern Vijayardh Mountain & city of western videh region
[[श्रेणी:शब्दकोष]] भेद :Difference, type, division, separation, discrimination, disjunction. विरुध धर्मों एवं भित्र-भित्र कारणों काहोना यही भेद है “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सम्यक् चारित्र : == सम्यक्त्वरत्नभ्रष्टा, जानन्तो बहुविधानि शास्त्राणि। आराधनाविरहिता, भ्रमन्ति तत्रैव तत्रैव।। —समणसुत्त : २४९ किन्तु सम्यक्त्व रूपी रत्न से शून्य अनेक प्रकार के शास्त्रों के ज्ञाता व्यक्ति भी आराधनाविहीन होने से संसार में अर्थात् नरकादि गतियों में भ्रमण करते रहते हैं। श्रुतज्ञानेऽपि जीवो, वर्तमान: स न प्राप्नोति…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नप्रभा – अघोलोक की प्रथम भूमि,रूढि का नाम घम्मा है। यह एक लाख 80 हजार योजन मोटी हैं। इसके तीन भाग है – खर भाग, पंक भाग अब्बहुल भाग। इसमे खर भाग पंक भाग में भवनवासी और व्यंतर देवो के भवन है। आंैर तीसरे भाग अब्बहुल में नारकियों के भवन है। Ratnaprabha- Name of…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भिक्षु प्रतिमा – Bhikshu Pratima. Particular 12 stages of renunciation for holy death of Jaina saints. सल्लेखना की साधना हेतु जैन साधुओं के लिए आहार त्याग आदि से संबंधित १२ प्रतिमाएं होती हैं, इनका विशेष वर्णन भगवती आराधना में देखें “