भावशुध्दि!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावशुध्दि – Bhavasuddhi. Mental purity, passionlessness. राग, द्वेष, अहंकार, आर्त व रौद्र ध्यान आदि समस्त अशुभ परिणाम से रहित होना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावशुध्दि – Bhavasuddhi. Mental purity, passionlessness. राग, द्वेष, अहंकार, आर्त व रौद्र ध्यान आदि समस्त अशुभ परिणाम से रहित होना “
देवगति (देव सामान्य) Celestial form, Divine life course. संसार परिभ्रमण की 4 गतियों (देव, नारकी, मनुष्य, तिर्यंच) में से एक गति । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रक्रम – Prakrama. Sequence, A type of Karmic matter, a type of Anuyogdvar. क्रमबध्द, कार्माण पुद्ग्ल प्रचय को प्रक्रम कहते हैं, अग्रायणीयपूर्व की कर्मप्रक्रति वस्तु का ८ वां अनुयोग्द्वार “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वृत्तिसूत्र –Vrttisutra. Briefing of some principle etc. जिसमे संक्षिप्त शब्दों में या सूत्र के समस्त अर्थ को संग्रहीत कर लिया जाता हैं “
दूरास्वादित्व ऋद्धि Super distantial attainment of taste. जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु को रसना इन्द्रिय के उत्कृष्ट विषय क्षेत्र से भी संख्यात योजन दूर स्थित खटटे, मीठे आदि अनेक प्रकार के रसों का स्वाद लेने की सामथ्र्य प्राप्त होती है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुनिदेव–Munidev. The chief disciple of Lord Adinath. भगवान् आदिनाथ के गणधरो का नाम”
दूर श्रवणत्व ऋद्धि A super distantial power of hearing. बुद्धि ऋद्धि का एक प्रकार जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु को श्रोत इन्द्रिय के उत्कृष्ट विषय क्षेत्र से भी संख्यात योजन दूर स्थित ध्वनि या शब्दों को सुनने की सामथ्र्य प्राप्त होती है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वासना – Vaasanaa.: Passion,Passionate feelings. संस्कार, अविद्या ,अज्ञान, कषाय आदि की पुनः पुनः प्रवृत्ति रूप अभ्यास से उत्पन्न संस्कार वासना कहलाते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वायुशर्मा – Vaayusharmaa.: Name of the 10th chief disciple of Lord Rishabhadev. भगवान ऋषभदेव के 10वें गणधर “