उपसंयत!
उपसंयत Controlled behaviour . गुरुकुल में मैं आपका हूँ ऐसा कहकर उच्चारण करना (समर्पण भाव से साधु के समान संयत होकर रहना)। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
उपसंयत Controlled behaviour . गुरुकुल में मैं आपका हूँ ऐसा कहकर उच्चारण करना (समर्पण भाव से साधु के समान संयत होकर रहना)। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
फल Fruits, Results of Karmas. खाने योग्य फल, कर्म आदि के परिणाम। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भागहार – Bhagahara. Divisor (the number by which another is divided ). जिस संख्या का भाग दिया जाये वह संख्या भागहार, हार, भाजक इत्यादि कहलाती है “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यशस्तिलकचंद्रिका–Yashastilakchandrika. Name of a commentary book. सोमदेवकृत यशस्तिलक चम्पू की श्रुतसागर (ई. 1480–1499) कृत एक संस्कृत टीका”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्मोह – Nirmoha. Attachmentless, a characteristic of a saint. साधु का एक लक्षण; मोह से रहित होना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीतराग स्तोत्र –VitaragaStotra. Name of a Sanskrit spiritual hymn. एक आध्यात्मिक संस्क्रत स्तोत्र ” शिवं शुध्द बुध्दं …………. चिदानंद रूपं णमो वितरागं “
आहारक लव्धि Extra – ordinary power of translocation (related to soul). एक ऋद्धि प्रमत्त गुणस्थानवर्ती मुनि को आहारक शरीर बनाने की शक्ति का प्रकट होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्मंत्र – Nirmantra. Destruction of Mantra-power, Name of the 56th planet. किसी की मंत्र शक्ति को निर्मूल कर देना, 88 ग्रहों में 56 वें ग्रह का नाम “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यंतरदेव –Vyaintaradeva. Peripatetic deities ( Bhoot, Pishach etc.). किन्नर, किम्पुरुष, महोरग, गंधर्व, यक्ष, राक्षस, भुत और पिशाच ये ८ प्रकार के व्यंतर देव कहलाते हैं ” ये वैकिर्यिक शरीर के धारी होते हैं एवं इनके असंख्य भवनों में जिनमंदिर होते हैं “