नोकेवल!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकेवल – Nokevala. Nine kinds of destructional volitions. क्षायिक भाव; केवलदर्शन, केवलज्ञान, क्षायिकदान, लाभ, भोग, उपभोग, वीर्य, क्षायिक सम्यक्त्व-चारित्र “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकेवल – Nokevala. Nine kinds of destructional volitions. क्षायिक भाव; केवलदर्शन, केवलज्ञान, क्षायिकदान, लाभ, भोग, उपभोग, वीर्य, क्षायिक सम्यक्त्व-चारित्र “
उद्वर्तन Rising up (from lower living state). नरकगति व भवनत्रिकदेवगति से निकलना एंव उद्धार होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == राग-द्वेष : == रत्तो बंधदि कम्मं, मुंचदि जीवो विरागसंपन्नो। —समयसार : १५३ जीव रागयुक्त होकर कर्म बांधता है और विरक्त होकर कर्मों से मुक्त होता है। असुहो मोह–पदोसो, सुहो व असुहो हवदि रागो। —प्रवचनसार : २-८८ मोह और द्वेष अशुभ ही होते हैं। राग शुभ और अशुभ, दोनों…
थावर प्रतिमा Stable image of any thing. व्यवहार से चंदन, कनक, महामणि, स्फटिक आदि से बनी प्रतिमा थावर कहलाती है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वज्रश्रृन्खला – Vajrashrankhalaa Name of the female demigod of Lord Abhinandannath, Name of a super power. भगवान अभिनन्दंननाथ की शासन देवी ,एक विद्या “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नैरन्तर्य – Nairantarya. Continuousness, Constancy. निरंतर होने का भाव, निबार्धता “
त्रैराशिकवाद Doctrine related to the conception of trio thoughts (like Jiva, Ajiva, Jiva-ajiva etc.). सर्व वस्तुओं को त्रयात्मक मानना अर्थात् तीन राशियों द्वारा चरण करने का सिद्धान्त जैसे जीव, अजीव , जीवाजीव, लोक , अलोक लोकालोक आदि। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वज्रपंजरस्तोत्र –Vajrapanjra Stotra A protecting spiritual hymn. पंचपरमेष्ठी की स्तुति रूप एक रक्षा स्तोत्र “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नेमिप्रभु – Nemiprabhu. Name of the 16th Tirthankar (jaina laord) situated in Videh Kshetra (region). विदेह क्षेत्र विद्यमान 20 तीर्थंकरों में 16 वें तीर्थंकर का नाम “