विदिशा!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विदिशा – Vidisha. Subdirections, quarter parts of the four direc- tions. चारों दिशाओं के अतिरिक्त प्रत्येक दो दिशाओं के मध्य स्थित दिशाएँ – ईशान, आग्रेय, नैऋत्य, वायव्य, ये ४ विदिशाएं कहलाती हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विदिशा – Vidisha. Subdirections, quarter parts of the four direc- tions. चारों दिशाओं के अतिरिक्त प्रत्येक दो दिशाओं के मध्य स्थित दिशाएँ – ईशान, आग्रेय, नैऋत्य, वायव्य, ये ४ विदिशाएं कहलाती हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पूर्वापर विरोध – Purvapara Virodha. State of mutual contradiction. पूर्व और उत्तर समय अर्थात् परस्पर में विरोध होना “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परंपरा मुक्ति Salvation after one or two births.एक दो आदि भवों के अनंतर मुक्ति होना ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभ्य – Vibhya. An infraction of paying reverence (reverence due to influence of Acharya etc.). वंदना का एक अतिचार, आचार्य आदि के भय से वंदना करना “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == मोक्ष—मार्ग : == दर्शनज्ञानचारित्राणि, मोक्षमार्ग इति सेवितव्यानि। साधुभिरिदं भणितं, तैस्तु बन्धो वा मोक्षो वा।। —समणसुत्त : १९३ जिनेन्द्र देव ने कहा है कि (सम्यक्) दर्शन, ज्ञान, चारित्र मोक्ष का मार्ग है। साधुओं को इनका आचरण करना चाहिए। यदि वे स्वाश्रित होते हैं तो इनसे मोक्ष होता है और…
ऋजुसूत्राभास Bauddha’s belief of momentariness (reg. internal and external thoughts of substances). एक मिथ्या नय, बहिरंग- अंतरंग दोनों द्रव्यों का सर्वथा अपलाप करने वाली क्षणिकवादी बौंद्धदों की मान्यता क्योंकि उनकी मान्यतायें प्रतीति-प्रमाण से बाधित है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == नश्वरता : == जम्मं मरणेण समं, संपज्जइ जुव्वणं जरासहियं। लच्छी विणससहिया, इय सव्वं भंगुरं मुणह।। —कार्तिकेयानुप्रेक्षा : ५ जन्म के साथ मरण, यौवन के साथ बुढ़ापा, लक्ष्मी के साथ विनाश निरंतर लगा हुआ है। इस प्रकार प्रत्येक वस्तु को नश्वर समझना चाहिए
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सापेक्ष – Saapeksa. Relative, comparative. परस्पर निर्भर, अपेक्षा या विवक्षा ।
ऋद्धिमद Pride of possessing supernatural power. ऋद्धि प्राप्त होने पर गर्व करना या दूसरे साधुओं की अपेक्षा अपना बड़प्पन मानना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]