कुल :!
[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष ]] == कुल : == पुरिसाण कुलीणाण वि न कुलं विणयस्स कारणं होइ। चंदाऽमय—लच्छि सहोयरं पि मारेइ किं न विसं।। —गाहारयणकोष : १०० कुलीन पुरुषों का कुल विनय (आचार) का कारण (प्रमाण) नहीं होता। विष चन्द्र, अमृत एवं लक्ष्मी का सहोदर होते हुए भी क्या प्राण नाश नहीं करता ?