निसीधिका!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निसीधिका – Niseedhikaa. See- Nisahi. देखें- निसही “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == संघ : == संघो गुणसंघात:, संघश्च विमोचकश्चकर्मणाम्। दर्शनज्ञानचरित्राणि, संघातयन् भवेत् संघ:।। —समणसुत्त : २५ गुणों का समूह संघ है। संघ कर्मों का विमोचन करने वाला है। जो दर्शन, ज्ञान और चारित्र का संघात (रत्नत्रय की समन्विति) करता है, वह संघ है। कर्मरजजलौघविनिर्गतरस्य, श्रुतरत्नदीर्घनालस्य। पंचमहाव्रतस्थिरर्किणकस्स, गुणकेसरवत:।। श्रावकजन—मधुकर—परिवृतस्य, जिनसूर्यतेजोबुद्धस्य। संघपद्मस्य…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वचन पथ – Vachan Patha.: Theory of different view points. वचन मार्ग; कहने के जितने मार्ग है उतने ही नयवाद अर्थात नय के भेद हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निष्पाप – Nishpaapa. Sinless, Name of the 13th predestined Tirthankar(Jaina Lord). समस्त पापों से रहित, 13 वें भाविकालीन तीर्थंकर का नाम “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सम्यक् ज्ञान : == यथा यथा श्रुतमवगाहते, अतिशयरसप्रसरसंयुतमपूर्वम्। तथा तथा प्रह्लादते मुनि:, नवनवसंवेगश्रद्धाक:।। —समणसुत्त : २४७ जैसे—जैसे मुनि अतिशय रस के अतिरेक से युक्त अपूर्वश्रुत का अवगाहन करता है, वैसे—वैसे नित—नूतन वैराग्ययुक्त श्रद्धा से आह्लादित होता है। सूची यथा ससूत्रा, न नश्यति कचवरे पतिताऽपि। जीवोऽपि तथा ससूत्रो, न…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वक्तृत्व – Vaktratva: Eloquence ,Art of fluent speech . वक्तापन ,भाषण “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यक्षिला – Yakshila. Name of the chief Aryika (Ganini)in the assembly of Lord Aranath. तीर्थंकर अरनाथ के संघ की 60 हजार आर्यिकाओ में गणिनी आर्यिका”
[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष]] == धर्मचरण : == जरा यावत् न पीडयति, व्याधि: यावत् न वद्र्धते। यावदिन्द्रियाणि न हीयन्ते, तावत् धर्मं समाचरेत्।। —समणसुत्त : २९५ जब तक बुढ़ापा नहीं सताता, जब तक व्याधियां (रोगादि) नहीं बढ़ती और इन्द्रियाँ अशक्त अक्षम) नहीं हो जातीं, तब तक (यथाशक्ति) धर्माचरण कर लेना चाहिए क्योंकि बाद में अशक्त एवं असमर्थ…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वंचना – Vanchanaa.: Deceit ,deceiving, deception, cheating. ठगना,माया ,आत्मा का कुटिल भाव ;इसका ही दूसरा नाम निकृति या वंचना है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निशिधिका – Nishidhikaa. Place of salvation of Lord Arihant etc. or place of reverential cremation. अर्हत आदि भगवान के निर्वाण क्षेत्र व मुनिराज के समाधि स्थान को निषिधिका कहते है “