सत्य अणुव्रत!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सत्य अणुव्रत – Satya Anuvrata. Vow of right & true speech. हित मित प्रिय वचन, सब जीवों को संतोषकारक वचन या धर्म का प्रकाशन करने वाले वचन “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सत्य अणुव्रत – Satya Anuvrata. Vow of right & true speech. हित मित प्रिय वचन, सब जीवों को संतोषकारक वचन या धर्म का प्रकाशन करने वाले वचन “
आहारशुद्धि Conceiving of wrong knowledge according to wrong preaching. मन,वचन,काय,द्रव्य,क्षेत्र व काल से आहार का शुद्ध होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रीपर्वत – Shreeparvata. Name of a mountain of Bharat Kshetra (region). भरत क्षेत्र का एक पर्वत ” लंका को जीतकर राम ने यहाँ का साम्राज्य हनुमान को दिया था “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयोगाक्षर – Sanyogaaksara. Combination of syllables i.e. formation of words. अक्षरों के संयोग से बना शब्द “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यव–Yava. A measurement unit of area. जौ; क्षेत्र का प्रमाण विशेष” 8 सरप्तो=एक जौ”
दक्षिणाग्नि A sacred fire of square fire-pit. चैकोर कुंड की अग्नि । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पोत्तकर्म – Potta Karma. Idols or images made up of cloths. पोत्त का अर्थ वस्त्र, उससे निर्मित की गयी प्रतिमाओं का नाम पोत्तकर्म है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संप्रदान कारक – Sanpradaana Kaaraka. The dative case in grammar. षट्कारकों में चतुर्थ कारक; कर्म जिसे देने में आवे अर्थात् जिसके लिए करने में आवे ” (के लिए, के अर्थ, के वास्ते) “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == निरभिमान : == जो ण य कुव्वदि गव्वं, पुत्तकलत्ताइसव्वअत्थेसु। उवसमभावे भवदि, अप्पाणं मुणदि तिणमेत्तं।। —कार्तिकेयानुप्रेक्षा : ३१३ जो पुत्र—कलत्रादि किसी का भी गर्व नहीं करता और अपने को तृण के समान मानता है, उसे उपशम—भाव होता है। रिद्धीसु होह पणंवा जइ इच्छह अत्तणो लच्छी। —कुवलयमाला : ८५ यदि…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संशय मिथ्यादृष्टि – Sanshaya Mithyaadrsti. One with unstable or wrong religious belief. संशय मिथ्यात्व से सहित व्यक्ति “