दीपमालिका व्रत!
दीपमालिका व्रत A vow of Deepawali festival. कार्तिका कृ. 30 को वीरनिर्वाण के दिन उपवास करना, शाम को दीपक जलाना एंव भगवान महावीर स्वामी का मंत्र जाप्य करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दीपमालिका व्रत A vow of Deepawali festival. कार्तिका कृ. 30 को वीरनिर्वाण के दिन उपवास करना, शाम को दीपक जलाना एंव भगवान महावीर स्वामी का मंत्र जाप्य करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वपर प्रकाशक – Svapara Prakaasaaka. Omniscience (causing enlightenment of self & others)ज्ञान। केवलज्ञान जो निश्चय नय से स्व को और व्यवहार नय से पर को जानता है।
दासीदास प्रमाणातिक्रम An infraction of possessional limitation of keeping servents.परिग्रह परिमाणव्रत का एक अतिचार, दास दासी के लिए हुए प्रमाण का उल्ंलघन करना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
जयपाल Name of an Acharya possessing knowledge of 11 Angas (scriptural knowledge). ११ अंगधारी पांच मुनियों में दूसरे मुनि (वी. नि. ३६३-३८३)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सत्वापसरण – Satvaapasarana. Regression of Karmic nature. कर्म प्रकृतियों का सत्ता में घटना या अपसरण होना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विद्यमान बीस तीर्थकर – Vidyamana Bisa Tirthamkara. The 20 Tirthankaras (Jaina-Lords) situated in videh Kshetra (region). ५ मेरु संबंधी ५ विदेह क्षेत्रों में बीस तीर्थकर सतत् विद्यमान रहते हैं, उनके नाम – सीमंधर, युगमन्धर, बाहु, सुबाहु, संजात, स्वयंप्रभ, ऋषभानन, अनंतवीर्य, सुरिप्रभ, विशालप्रभ, व्रजधर, चन्द्रबाहु, भुजंगम, ईश्वर, नेमिप्रभ, वीरसेन, महाभद्र, देवयश, अजितवीर्य “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विनयंधर – Vinayandhara. Name of a great Acharya possessing some knowledge of Anga & Purva (part of scriptural knowledge). लोहाचार्य के बाद हुए अंग और पुर्वों के एक देश के ज्ञाता ४ मुनियों में प्रथम मुनि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्व-उपकार – Sra – Upakaara. Benefitting self (reg. soul).आत्महित।
देवगुरू A Digambar Jain saint possessing supernatural power. एक चरण ऋद्धिधारी मुनि इन्होंने अंतिम समय में वानर को णमोकार मंत्र सुनाया था जिससे मरकर वह सौधर्म स्वर्ग में चित्रांगद नामक देव हुआ था।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनोरमा- Manoramaa. Something attractive or beautiful, Name of the daughters of king Pawanveg and Chakravarti Abhayaghosh. विजयार्ध पर्वत पर मेघपुर नगर के राजा पवनवेग की पुत्री , चक्रवर्ती अभयघोष की पुत्री का नाम “