देवतिलक!
देवतिलक A commentator of ‘Kalyanamandir Stotra’ (a treatise). कल्याणमंदिर स्त्रोत के टीकाकार।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
देवतिलक A commentator of ‘Kalyanamandir Stotra’ (a treatise). कल्याणमंदिर स्त्रोत के टीकाकार।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शांतिकीर्ति – Shantikeerti. The disciple of Meghchandra of nandi group; Namr of a Kannad poet, the writer of Shantinaatha. नंदिसंघ बलात्कारगण, मेघचंद्र के शिष्य मेरुकीर्ति के गुरु, समय – ई. 705-720 ” शांतिनाथ पुराण के रचियता एक कन्नड़ कवि, समय ई.- 1519 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय अनुप्रेक्षा – Nishchaya Anuprekshaa. Reflection about absolutsim (knowledge of soul is Supreme). मुनि अवस्था में शुद्ध निश्चय नय से आत्मा का स्वरुप देवादिपर्यायोंसे रहित ज्ञानस्वरूप मात्र है इस तरह का चिंतन करना “
दूरापकृष्टि A type of Krishti (gradual destruction of passions). कर्मों का स्थितिकाण्डकघात होते-होते जब सबसे जघन्य पल्योपम के संख्यातवें भाग प्रमाण स्थिति शेष रह जाती है वह स्थिति दूरापकृष्टि है।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोहागल –Lohaagal The 11th city of the southern Vijayardha mountain . विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का 11वां नगर “
तपोवृद्ध Saints more experienced or senior in austerities. तप करने में जो बडे अर्थात् अनुभवी है।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्व्याकुल चित्त – Nirvyaakula Chitta. Mind free from all agitations. सुख; शांत मन अर्थात् व्याकुलताओं से रहित मन “
दृष्टिप्रवाद A part of scriptural knowledge (Shrutgyan). द्वादशांग श्रुत का 12 वाँ अंग जिसमें 363 मिथ्यात्व मतों का निराकरण है, यह दृष्टिवाद का अपरनाम है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्वेगिनी कथा – Nirveginee kathaa. Story which produces feelings of asceticism or datachment. 4 धर्मकथाओं में एक कथा–संसार, शरीर और भोगों में वैराग्य को उत्पन्न करने वाली कथा ” अपरनाम-निर्वेजनी कथा “
दृढ़चर्याक्रिया To have strict faith in own philosophy. दीक्षान्वय की 48 क्रियाओं में एक शास्त्र के अर्थ का अवधारण करके स्वमत में दृढ़ता धारण करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]