द्वयर्धगुणहानि!
द्वयर्धगुणहानि A type of decreasing series. गुणहानि आयाम को ड्योढ़ा (द्वयर्ध) करने पर जो प्रमाण प्राप्त हो। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
द्वयर्धगुणहानि A type of decreasing series. गुणहानि आयाम को ड्योढ़ा (द्वयर्ध) करने पर जो प्रमाण प्राप्त हो। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुष्पदंतसागर – Puspadamtasagara. Name of a saint, the disciple of Acharya Shri Vimalsagar Maharaj. आचार्यश्री विमलसागर महाराज के एक प्रसिध्द आचार्य- शिष्य (ई. श. २०-२१), जिनकी प्रेरणा से सोनकच्छ (म. प्र.) के नजदीक पुष्पगिरी तीर्थ का निर्माण हुआ है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुष्करवृक्ष – Puskaravrksa. Earth bodied tree existing in Pushkarardhdvip (island). पुष्करार्धद्वीप में स्थित पृथ्वीकायिक वृक्ष, जिसके नाम से ‘पुष्कर द्वीप’ का नाम सार्थक है. इसके परिवार वृक्ष ५, ६०, ४७६ हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुरुष – Purusa. Male, Masculine gender. जो उत्कृष्ट गुणों में और उत्कृष्ट भोगों में प्रवृति करता है एवं अच्छे भोगों में प्रवृत्त रहता है. नामकर्म के उदय से पुरुष शरीर की संरचना और पुरुषवेद कर्म के उदय से तज्जन्य भाव वाला जीव पुरुष कहलाता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भुजगा – Bhujaga. Name of a female beloved deity of a peripatetic deity ‘Mahakay’. महाकाय नामक व्यंतर इंद्र की देवी का नाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रज्ञाश्रमण ऋद्धि – Pragyaashramana Riddhi. A type of supematural power related to sagacity. जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधू विशेष अध्ययन के बिना भी समस्त शास्त्रों को सूक्ष्मतासे जानने में समर्थ होता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनोज्ञान- Manogyana. Wisdom , mental knowledge , intelligence , Telephatic knowledge. मन के निमित से उत्पन्न होने वाला ज्ञान ” मनःपर्यय ज्ञान “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रेशमी वस्त्र – रेशम से बने वस्त्र। Resami Vastra-Silky cloth
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मिश्रश्रद्धा–Mishrashraddha. To have right & wrong reverence or devotion. एक ही समय में तत्त्व और अतत्त्व दोनों पदार्थो की श्रद्धा होना” अर्थात् सम्यक मिथियात्व रूप मिला हुआ श्रद्धान”
तीर्थस्नान To take bath in a holy river or place, Ceremonial bath. वैदिक परम्परानुसार गंगा आदि तीर्थे में स्नान करना, मिथ्यात्वादि दोषों से मलिन प्राणी ऐसे तीर्थस्नान से विशुद्ध नहीं हो पाता । जैनशासन के अनुसार अरिहंत परमेष्ठी द्वारा प्रतिपादित ज्ञानयपी गंगा में अवगाहन करना ही वासतविक तीर्थस्थान है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]