निश्चयचारित्र!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चयचारित्र – Nishchayachaaritra. Absolute right conduct, absolute meditation. साधू जीवन में व्यवहार चारित्रके बल से अंतरंग-बहिरंग विकल्पों का त्याग कर आत्म स्वरूप में तन्मय होना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चयचारित्र – Nishchayachaaritra. Absolute right conduct, absolute meditation. साधू जीवन में व्यवहार चारित्रके बल से अंतरंग-बहिरंग विकल्पों का त्याग कर आत्म स्वरूप में तन्मय होना “
द्रव्य प्रत्याख्यान Resolution for the renunciation of non-acceptable matters. अयोग्य आहार, उपकरण वगैरह पदार्थों को ग्रहण नहीं करूँगा ऐसा संकल्प करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
इच्छानुलोमनी Desirous, To be like others. अनुभय वचन का एक भेद जैसे-जैसा यह है वैसा मुझको होना चाहिये।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उभयासंख्यात Doubtful absense of both complementary causes (not reaching) . लोकाकाश की दो दिशाओं में स्थित प्रदेश पंक्ति उभयासंख्यात है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
द्रव्य निबंधन Binding of two matters. जो द्रव्य जिन द्रव्यों का आश्रय करके परिणमन करता है , अथवा जिस द्रव्य का स्वभाव द्रव्यान्तर से प्रतिबद्ध है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लौकातिक देव –Laukantika Deva.: A spacial type of heavenly deities who are supposed to get salvation definitely after crossing one birth or Bhav. पांचवे ब्रह्म स्वर्ग के अंत में रहने वाले लौकंतिक देव ;जिनके संसार या लोक का अंत निकट है वे लौकंतिक हैं ” ये देव दीक्षा कल्याणक के समय तीर्थंकर भगवान की…
द्रव्य इंद्रिय Physical senses (for touch, taste, smell etc.) स्पर्शन, रसन, घ्राण, चक्षु और श्रोत ये 5 द्रव्य इंद्रियाँ होती हैं ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय कर्ताकर्म – Nishchaya kartaakarma. A viewpoint of talking self as the doer of own pure volitions. आत्मा वास्तव में अपने शुद्ध भावों का कर्ता है एवं पुद्-गलद्रव्यके निमित्त से होने वाले भावों का कर्ता नहीं है “
द्योत्यद्योतक भाव A relation between one enlightening and enlightened one. संबंध का एक भेद- प्रकाशित होने वाला पदार्थ द्योत कहलाता है।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शहद – Shahada. Honey, which is not edible accoerding to Jaina philosophy. मधु; एक अभक्ष्य पदार्थ “