संतोष!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संतोष – Santosha. Satisfaction,Contentment. शांति, परितुष्टि ” अर्थात् लोभ-तृष्णा का अभाव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संतोष – Santosha. Satisfaction,Contentment. शांति, परितुष्टि ” अर्थात् लोभ-तृष्णा का अभाव “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वमुख उदय – Svamukha Udaya. Natural fruition of karmas. कर्म प्रकृतियो का आपरुप होकर ही उदय मे आना स्वमुख उदय है एवं अन्य प्रकृति रुप होकर उदय मे आना परमुख उदय हैं।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == मिथ्यात्व : == मिथ्यात्वं वेदयन् जीवो विपरीतदर्शनो भवति। न च धर्म रोचते हि, मधुरं रसं यथा ज्वरित:।। —समणसुत्त : ६८ जो जीव मिथ्यात्व से ग्रस्त होता है, उसकी दृष्टि विपरीत हो जाती है। उसे धर्म भी रुचिकर नहीं लगता, जैसे ज्वरग्रस्त मनुष्य को मीठा रस भी अच्छा नहीं…
[[श्रेणी: शब्दकोष]] स्वभाव द्रव्य पर्याय – Svabhaava Dravya Paryaaya. Natural states of matters. कर्मोपाधि रहित पर्याये स्वभाव द्रव्य पर्याये कही जाती है। सब द्रव्यो की जो अपने अपने प्रदेशो की स्वभाविक स्थिति है वही द्र्रव्यो की स्वभाव पर्याय है।
उपरिम कृष्टि See – Uparitana Kro ¼²i . देखें-उपरितन कृष्टि।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आनंदिता Name of a female divinity of Vajra summit of Nandan forest. नन्दन वन के वज्रकूट की स्वामिनी टिक्कुमारी देवी।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वभाव – Svabhaava. Nature, property, characteristic.वस्तु का असाधारण और शाश्वत धर्म ही उसका स्वभाव कहलाता है। जैसे- जीव का स्वभाव चेतना या जानना, देखना है।
उपयोग आत्मा Soul with right knowledge . स्व-पर को ग्रहण करने में लिप्त जीव एंव उसके परिणाम।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वपर अवभासक – Svapara Avabhaasaka. Something (soul etc.) possessing the knowledge of self and other matters also.स्व और पर को जानने वाला स्व-पर अवभासक कहा जाता है। जैसे दीपक स्वयं को भी प्रकाषित करता है एवं अन्य को भी। अथवा दर्षन के द्वारा आत्म को ग्रहण होता है, तब स्वतः ज्ञान का तथा उसमे…