राजस दान!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजस दान – जो दान थोडे समय के लिए सुन्दर और चकित करने वाला हो एवं अपते यष और ख्याति के लिए किया गया हो। Rajasa Dana- Donation for own popularity or fame
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजस दान – जो दान थोडे समय के लिए सुन्दर और चकित करने वाला हो एवं अपते यष और ख्याति के लिए किया गया हो। Rajasa Dana- Donation for own popularity or fame
चारित्र औपशमिक Conduct causing lack of passions, lusts, desires etc. चारित्रमोहनीय के उपशम से जो वीतराग भावरूप चारित्र हो ।।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समानता – Samaanataa. Similarity, Parity. एकरुपता। ऋजुसूत्र नय की दृष्टि मे कोई के समान नही है, क्योंकि देा को सर्वथा समान मान लेने पर, उन दोनो मे एकत्व की आपत्ति प्राप्त होती है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रेषमी वस्त्र – रेषम से बने वस्त्र। Resami Vastra-Silky cloth
घ्नत A process of multiplication, Killed-one. गुणित, अभ्यस्त , घ्नत, हत सब एकार्थवाची हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्तव -Stava. Hymning or praising (of 24 Tirthankaras, Jaina-Lords).24 तीर्थकरो के गुणो का कीर्तन करना स्तव कहलाता है। इसे स्तवन या स्तुति भी कहते है।
चालन A divine medicine. एक दिव्या औषधि ; इससे बंधे हुए कोटाकोटी स्थिति बंध वाले कर्मा चालिसिय कहलाते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समवायांग – Samavaayaanga. The 4th part in all 12 parts of Shrut (early canons). द्वादषंग श्रुत का चैथा अंगः इसमे द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव की अपेक्षा समानता का कथन है अर्थात् जिसमे पदार्थों की समानता के आघार पर समवाय का विचार किया गया है वह समवायांग है। इसमें एक लाख 64 हजार पद है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राग प्रत्यय – कर्मोे के आस्त्रव तीन हेतू मोह राग और द्वेश मे से राग का होना। Raga Prataya-One of the passionful causes of influx of karmas
चलप्रदेश Some of the space points of soul . जीव के ८ मध्यप्रदेशों को छोड़कर बाक़ी के प्रदेश ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]