सादृष्य प्रत्यभिज्ञान!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सादृष्य प्रत्यभिज्ञान – Saadrsya Pratyabhijnnaana. Resemblance, similarity. स्मृति और प्रत्यक्ष के विषय भूत पदार्थों मे सादृश्यता दिखाते हुए जोड़ रुप ज्ञान का होना। जैसे यह गौ गवय के समान है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सादृष्य प्रत्यभिज्ञान – Saadrsya Pratyabhijnnaana. Resemblance, similarity. स्मृति और प्रत्यक्ष के विषय भूत पदार्थों मे सादृश्यता दिखाते हुए जोड़ रुप ज्ञान का होना। जैसे यह गौ गवय के समान है।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार]] [[श्रेणी:शब्दकोष ]] == द्रव्य : == आकाशकालजीवा:, धर्माधर्मौ च र्मूितपरिहीना:। मूर्तं पुद्गलद्रव्यं, जीव: खलु चेतनस्तेषु।। —समणसुत्त : ६२६ आकाश, काल, जीव, धर्म और अधर्म द्रव्य अर्मूितक हैं। पुद्गल द्रव्य र्मूितक है। इन सबमें केवल जीव द्रव्य ही चेतन है। दव्वं सल्लक्खणयं उप्पादव्वयधुवत्तसंजुत्तं। —पंचास्तिकाय : १० द्रव्य का लक्षण सत् है और वह सदा…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सातवीं पृथ्वी – Saataveen Prthivee. The 7th hellish earth. महातमः प्रभा नाम की नरक पृथिवी, यह 8 हजार योजन मोटी है। इस पृथिवी से एक राजु नीचे लोक का अंत है।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यमकूट–Yamkut. Name of a summit at Yamkgiri. यमकगिरी पर स्थित एक कूट”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विर्याचरण –Viryacarana Conduct according to the capability. सामथ्र्य के अनुसार आचार का पालन करना “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मृगचारित– Mragcharit. Unrestrained saints (who make decisions by themselves). जो साधु अकेले ही स्वच्छंद रीती से विहार आदि करते है”
उत्तराषाढ़ नक्षत्र Name of a lunar. एक नक्षत्र वृषभदेव का जन्म और दीक्षा इसी नक्षत्र में हुई थी।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चरणानुयोग गृहमेध्यनगाराणां चारित्रोत्पत्तिवृद्धिरक्षाङ्गम्। चरणानुयोगसमयं सम्यग्ज्ञानं विजानाति।।४५।। अर्थ-सम्यग्ज्ञान ही गृहस्थ और मुनियों के चरित्र की उत्पत्ति, वृद्धि और रक्षा के अंगभूत चरणानुयोग शास्त्र को जानता है अर्थात् जिसमें श्रावक और मुनिधर्म का वर्णन किया जाता है, वह चरणानुयोग है। अथवा An Anuyog (a division of particular treatises) dealing with principles of conduct prescribed for the householders…
उभयाव्यतिरेकी That which refers to both extremes. हेतु का एक शब्द- अन्वयव्यतिरेकी जिसमें अन्वय दृष्टांत व व्यतिरेक दृष्टांत दोनों होते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]