भुमिमंडल!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भुमिमंडल – Bhumimandala. See- Bhumikumdala. देखें – भूमिकुंडल “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भुमिमंडल – Bhumimandala. See- Bhumikumdala. देखें – भूमिकुंडल “
दिव्यपुर A part of Samavasarana, assembly of Lord Arihant. समवसरण का एक भाग।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पौरुषवाद – Paurushvada. A doctrine believing in the principle of ‘ work is worship’. एक सांख्यमत ” जो दैव, कर्मोदय को न मानकर मात्र पुरुषार्थ से ही कार्य की सिध्दी मानते हैं “
महापुराण- आचार्य जिनसेन कृत कलापूर्ण संस्कृत काव्य जिसे इनकी मृत्यु के पश्चात् इनके शिश्य आ0 गुणभद्र ने पूरा किया । जिनसेन वाले भाग का नाम आदि पुराण है जिसमें भगवान ऋषभ तथा भरत बाहुबलि का चरित्र चित्रित किया गया है। इसमें 47 पर्व तथा 15000 श्लोक है गुणभद्र वाले भाग का नाम उत्तर पुराण है…
त्रिकरण Three types of pure attitudes of soul involved in penance. जीव के तीन प्रकार के विशुद्ध परिणाम, अधःप्रवृत्तकरण, अपूर्वकरण, अनिवृत्तिकरण। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वृषभदेव–Vrsabhadeva. Name of the 1stTirthankar( Jaina – Lord), the son of king Nabhiral& queen Marudevi. भरतक्षेत्त चोबीसो के प्रथम तीर्थकर कुलकर नाभिराय रानी मरूदेवी के पुत्र जिनके ॠषभदेव , पुरुदेव , आदिनाथ आदि नाम प्रसिद्ध हैं बी”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बाधक- जो रुकावट को कारण हो जैसे, मिथ्यात्व कर्म सम्यक्त्व का बाधक है। Badhaka- Obstuctive, hindering, restrictive
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नाचिराज – Naciraja A kannad poet who wrote a commentary book on ‘Amorkosh’ in kannad. कन्नड़ जैन कवि; उमरकोश की कन्नड़ टिका के कर्ता “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनःशुद्धि – Manahsuddhi. Mental purity. छल कपट आदि समस्त बुरे भावो से विरक्त होना “