प्रकृति निरन्तर!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति निरन्तर – Prakrti Nirantara. Karmic nature with continuous binding. कर्म प्रक्रतियां जो अंतर्मुहूर्त काल तक निरंतररूप से बंधती हैं वह निरंतर बंधी प्रक्रतियां कहलाती हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति निरन्तर – Prakrti Nirantara. Karmic nature with continuous binding. कर्म प्रक्रतियां जो अंतर्मुहूर्त काल तक निरंतररूप से बंधती हैं वह निरंतर बंधी प्रक्रतियां कहलाती हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नील कूट – Neela Kuta. Name of a summit of Neel mountain. नील कुलाचल के 9 कूटों में दूसरा कूट “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्त द्रव्य शल्य – Sachitta Dravya Shalya. A type of material sting; servants etc. animate objects. द्रव्य शल्य के तीन भेदों में एक भेद; दास आदि सचित्त द्रव्य शल्य है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शिवदत्त – Shivadatta. Name of a great Acharya. भगवान महावीर की आचार्य परम्परा में लोहाचार्य के पश्चात हुए चार आचार्यों में तीसरे आचार्य ” समय- ई. 38-58 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संवृत्त-विवृत्त – Sanvrtta-Vivrtta. A type of female genital organ with having some hidden & some opened portion. योनि के 9 भेदों में एक भेद; जो योनि स्थान कुछ ढका हुआ और कुछ खुला हुआ हो “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वचन वंदना –Vachan Vandanaa: Expressing reverential greetings by speech. साधुओं का एक कृतिकर्म; पंच परमेष्ठी के गुणों का वचनों के द्वारा महत्व प्रगट करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निसही – Nisahee. ‘Nisahi’, a word to be pronounced at the time of entering into the temple etc. मंदिर, चैत्यालय, मठ, वसति आदि में प्रवेश करने के लिए वहां रहने वाले भूत, यक्ष, आदिकों से ‘निसही’’ इस शब्द को बोलते हुए पूछकर प्रवेश करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वचन (ॠत) – Vachan (Rta).: True speech or words. ॠत अथवा सत्य वचन “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निष्ठीवन – Nishtheevana. To split out, an infraction of meditative relaxation ; an obstacle related to saint food; coming out phlegm in mouth. थूकना, कायोत्सर्ग का एक अतिचार; आहार अन्तराय; आहार करते समय साधू के द्वारा कफ आदि थूक देने पर निष्ठीवन नाम का अन्तराय होता है “