दिग्नाग!
दिग्नाग Name of a Bauddhist personality एक बौद्ध विद्धान।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
एकांतिक Directed towards one object, one place or region. नियम से एकांत से संबंधित।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चतुरावश्यक Four super necessities of the 7th stage of spiritual development. अनंतगुणी विशुद्धि , अप्रशास्ता प्रकृतियों की अनंतगुणी हानि, प्रशस्त प्रकृतियों में अनंतगुणी वृद्धि , स्थिति बंधापसरन ये ४ आवश्यक कार्य अधःप्रवृत्तकरण संयत अर्थात् सप्तम गुणस्थानवर्ती मुनि के होते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विमलदेव – Vimaladeva. The writer of ‘Nayachakra’, spiritual teacher of Shridevsen. नयचक्र के रचयिता श्रीदेवसेन के गुरु (वि. ९६५,ई.९०९) “
त्रिलोकगुरू One who is great in all three worlds. अनंत ज्ञानादि महान गुणों के द्वारा जो तीन लोकों में भी महान् है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चतुर्दश पूर्वधर Acharyas possessing knowledge of 14 Purvas. १४ पूर्व के ज्ञाता ५ मुनि ; विष्णु , नंदिमित्र , अपराजित , गोवर्धन , भद्रबाहु ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चतुर्थकाल The fourth division of Avasarpini Kal (regressive half cycle of time). अवसर्पिणी काल के ६ भेदों में दुषमा-सुषमा नामक चौथा भेद , जिसमें २४ तीर्थंकर जन्म लेते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भुजबलिचरित – Bhujabalichrita. A book written by Doddhyya. “. दोद्दय्य’ द्वारा रचित एक ग्रंथ ” इसमें भगवान बाहुबली का जीवन चरित्र है “
एकांत One sided, Absolute, A type of wrong perception. मिथ्यात्व के 5भेदों में एक भेद- द्रव्य और पर्यायरूप पदार्थ में किसी एक अंग को जानकर यह समरू लेना कि इतना ही इसका स्वरूप है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विद्यासागर – Vidyashagara. Name of a great Digambar Jain Acharya of 20th century. चारित्रचक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज के द्वितीय पट्टाधीश आचार्य श्री शिवसागर महाराज के शिष्य मुनि श्री ज्ञानसागर महाराज (जो बाद में समाज द्वारा आचार्य बनाये गये) द्वारा दीक्षित बीसवीं सदी के एक प्रभावक आचार्य “