जयपुरी!
जयपुरी A city in the south of Vijayardh mountain. विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
जयपुरी A city in the south of Vijayardh mountain. विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्याद्वादोपनिषद् – Syaadvaadopanisad. Name of a Book written by Acharya Somsen.आचार्य सोमसेन (ई0 943-968) कृत स्याद्वाद न्याय का प्ररुपक संस्कृत भाषाबद्व ग्रंथ।
तन्मनोहरांगनिरीक्षण त्याग Renunciation of watching the beauty of women. ब्रहाचर्य व्रत की दूसरी भावना स्त्रियों के मनोहर अंगों को देखने का त्याग। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
जनादर्शन A Marathi poet and writer of ‘Shrenik Charit’, An epithet of Vishnu. मराठी कवि , श्रेणिक चरित के रचयिता (ई. १७६८) , विष्णु को भी जनादर्शन कहते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्यादवक्तव्य – Syaadavaktavya. The 4th bhang of saptbhangi-exposition of the nature of the substance in the aspect of indescribability. सप्तभंगी का चैथा भंग, द्रव्य स्वद्रव्य क्षेत्र काल भाव से और परद्रव्य क्षेत्र काल भाव से युगफद् कथन न किया जाने से कथंचित् अवक्तव्य है।
तदुभय प्रत्ययिक जीव बंध Sentiments devolped through the fruition & prematured fruition of karmas. जीव भाव बंध का एक भेद कर्मां के उदय और उदीरणा से तथा उनके उपशम से जो भाव उत्पन्न होते हैं (अर्थात् जीव के क्षयोपशमिक भाव)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
तत्सेवी A fault of criticism. आलोचना का एक अतिचार। बडे प्रायश्चित से बचने हेतु पाश्र्वस्थ मुनि का गुरू के पास न जाकर पाश्र्वस्थ मुनि के पास अपने दोष कहना। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
जघन्य योगस्थान Lowest grade of vibratory activity of soul. स्थान प्ररूपणा के अनुसार श्रेणि के असंख्यातवें भाग मात्र जो असंख्यात स्पर्धक हैं उनका एक जघन्य योग स्थान होता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सव्यभिचार – Savyabhichaara. A vallacy causing both favour & opposition, an inconclusive fallacy. एक हेत्वाभास । पक्ष व विपक्ष दोनों को स्पर्ष करने वाला हेतु । यह साधारण, असाधारण व अनुपसंहारी तीन प्रकार का होता है।