प्रमेयरत्नालंकार!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमेयरत्नालंकार- आचार्य चारुकीर्ति (ई. 1544) कृत एक ग्रंथ। Prameyaratnalankara- A book written by acharyaCharukirti
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमेयरत्नालंकार- आचार्य चारुकीर्ति (ई. 1544) कृत एक ग्रंथ। Prameyaratnalankara- A book written by acharyaCharukirti
उपराग Colour, Coloration, Darkening, Eclipse . रंगीन लाली आदि से युक्त।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्येक शरीर वर्गणा- 23 वर्गणाओं में एक वर्गणा; एक-एक जीव के एक-एक शरीर में उपचित (संचित) हुए कर्म-नोकर्मस्कंण्रुप वर्गणा। pratyeka sarira vargana – a type of aggregates of karmic molecules
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमाण सप्तभड्गी- प्रमाण में प्रत्येक धर्म की अपेक्षा सप्तमभंगी होती है; स्यात् अस्ति, स्यात् नास्ति, स्यात् अस्ति नास्ति स्यात् अवक्तव्य, स्यात् अस्ति अवक्तच्य, स्यात् नास्ति अवक्तव्य, स्यात् अस्ति नास्ति अवक्तव्य ये सप्तभंगी कहलाते है। PramanaSaptabhangi- Measure pertaining to seven combinations (Saptbhangi)
गुरुवन्दना Belief in false preceptor of spiritual teachers. रत्नत्रयधारक यति, आचार्य, उपाध्याय, साधु आदि के उत्कृष्ट गुणों को जानकर श्रद्धा सहित विनय करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमाण गणना (लौकिक, लोकोत्तर)- लौकिक और अलौकिक मान; अलौकिक गणित के मुख्य दो भेद है-संख्यामान और उपमामान। PramanaGanana (Laukika, Lokottara)- Mathematical measure (universal, post universal)
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विप्लुत – Vipluta. Images of moon etc. in water. जिसका तरंगादि में अनेक प्रकार से डूबना या तैरना हो रहा है, ऐसे, जल में पड़े हुए चंन्द्र प्रतिबिम्ब आदि विप्लुत है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमत्तयोग- कशाय सहित मन वचन काय की प्रवित्ति। Pramattayoga- Vibration due to passions, which agitate mind, body or speech
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रभाकर भट्ट- आचार्य योगेन्दुदेव के षिश्य एक दिगम्बर साधु, जिनको सम्बोधित करते हुए इन्होने “परमात्मा प्रकाष” ग्रंथ की रचना की है। Prabhakarabhatta- A Digambar Jain saint, disciple of Yogendudeva Acharya
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहसा निक्षेप – Sahasaa Nikshepa. Sudden installation of something due to some fear etc. निक्षेपाधिकरण के 4 भेदों में एक भेद । यकायक किसी भय से या किसी अन्य कार्य करने की शीघ्रता से वस्तु को रख देना । यह अजीवाधिकरण आस्रव का एक कारण है।