रूचकवर सागर!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूचकवर सागर – रूचकवर द्वीप को धेरे हंुए एक समुद्र इसके जल का स्वाद मीठा है।विस्तार 16782336 लाख योजन है। Rucakavara sagara-name of an ocean surrounding Ruchakvardvip (island) with having sweet water
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूचकवर सागर – रूचकवर द्वीप को धेरे हंुए एक समुद्र इसके जल का स्वाद मीठा है।विस्तार 16782336 लाख योजन है। Rucakavara sagara-name of an ocean surrounding Ruchakvardvip (island) with having sweet water
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वप्रकावती – Vaprakaavatii: A country of western Videh Kshetra (region), Name of a summit of Vakshargiri (mountain) & its female divinity. पश्चिम विदेह का एक देश , वक्षारगिरि का एक कूट व स्वामिनी देवी “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भयत्याग – Bhayatyaga. A type of reflection, to be fearless. सत्यव्रत की ५ भावनाओं में एक भावना; भीति त्याग “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नवृश्टि – रत्नवर्शा तीर्थकरों के गर्भावस्था में आने के 6 महीने पहले से जन्म पर्यन्त 15 मास तक जो कुबेर माता के आंगन मे रत्नो की वर्शा करते है। Ratnavrsti-Divinely rain of jewels (an auspicious event pertaining to the birth of Jaina lord)
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विप्राणस मरण – Vipranasa Marana. A kind of holy death (with abandoning meals in the obstructing period of religious observances). १७ प्रकार के मरण के भेदों में एक भेद; यह मरण उसके होता है जो अपने व्रत क्रिया चारित्र में उपसर्ग आने पर ष भी नहीं सकता और भ्रष्ट होने के भय…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोत्वचा – Notvachaa. Upper skin of bark. वृक्ष या स्कन्धोंकी छाल को त्वचा तथा उसके ऊपर जो पपड़ी का समूह होता है उसे नोत्वचा कहते है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] ल को – लक्षकोटि की सहनहानि। एक लाख करोड। La ko-A symbolic expression for a large number (one lac crore)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शीलव्रत – Sheelavrata. A particular vow (fasting) to be observed with particular procedure. वैशाख शुक्ला 6 के दिन (भगवान अभिनंदन का मोक्ष कल्याणक दिवस) 5 वर्ष पर्यत उपवास करना एवं ‘ओं हीं अभिनंदनजिनाय नमः’ का त्रिकाल जाप करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकर्म आहार – Nokarma Aahaara. Intake of Nokarma Varganas cousing formation of gross body. शरीर निर्माण के निमित्तभूत नोकर्म वर्गंणाओ का आना ‘नोकर्म आहार कहलाता है ” यह समस्त सांसारिक प्राणियों के तो होता ही है तथा केवली भगवान के भी पर्मौदारिक शरीर के निमित्त से नोकर्माहार मन गया है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नाकर वर्णी कवि – भरतैष वैभव नामक कृति के रचियता कन्नड कवि। समय ई 1551 Ratnakara Varni (Kavi)-Name of a Kannad poet who wrote Bhartaish vaibhv