बाह्य धर्मध्यान!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्य धर्मध्यान – Bahya Dharmadhyana. Religious observances. धर्मध्यान का एक लक्षण; आत्मा को शील , व्रत , उपवास आदि बाह्य क्रियाओं से युक्त करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्य धर्मध्यान – Bahya Dharmadhyana. Religious observances. धर्मध्यान का एक लक्षण; आत्मा को शील , व्रत , उपवास आदि बाह्य क्रियाओं से युक्त करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शिष्य – Shishya. Disciple, Follower, A pupil. चेला, विद्यार्थी “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नीलोद्यान – Neelodyaana. Name of the initiation forest of Lord Munisuvratnath. मुनिसुव्रतनाथ भगवान के दीक्षा वन का नाम ” अपरनाम नीलवन “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बीजदर्शनार्य – Bijadarsanaya. A type of noble persons (Aryas). अनुद्धि प्राप्तार्य में दर्शनार्य का एक भेद “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यति–Yati. Saints at the stage of higher austerity. जो इन्द्रिय जय के द्वारा अपने शुद्धात्म स्वरुप में प्रयत्नशील होता है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नीतिक्रिया – Neetikriyaa. Judicial activity. न्याय; जिसके द्वारा निश्चय किता जाए “
दिगंबर A Jain saint living sacrificial and passionless life with nakedness. दिशारूपी वस्त्र को धारण करने वाले नग्न जैन मुनि अथवा जैनमुनियों की जिनमुद्रा ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्य वर्गंणा – Bahya Vargana. A type of aggregates of Karmic molecules. तेईस वर्गणाऔ में से पाँच शरीर प्रथग्भूत हैं इसलिए इन्हें बाह्य वर्गणा कहते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वचनप्राण – Vachanprana.: Power of speech. जीव के 10 प्राणों में से एक प्राण; जीव की वचन व्यापर में कारणभूत योग्यता या शक्ति “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == वक्रता : == सो सद्दो तं धवलत्तणं च रयणायरम्मि उप्पत्ती। संखस्स हिययकुडिलत्तणेण सव्वं पि पब्भट्ठं।। —गाहारयणकोष : ११३ वही शब्द (ध्वनि), वही शुभ्र ताप और रत्नाकर में उत्पत्ति। यह सब कुछ होते हुए भी शंख अपने हृदय की वक्रता के कारण सर्वत्र भ्रष्ट होता है। व्यक्ति घर, धन,…