फलकहार!
फलकहार A kind of necklace. एक हार: यह अर्धमाणवहार के मध्य में मणि लगाकर तैयार किया जाता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
फलकहार A kind of necklace. एक हार: यह अर्धमाणवहार के मध्य में मणि लगाकर तैयार किया जाता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
उच्चगोत्र कर्मप्रकृति A type of karmic nature (reg. higher status). वह कर्म जिसके उदय से लोक पूजित या लोक मान्य कुल में जन्म हो।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आस्रव द्वार Channels for influx of Karmas, The doors for the karmic flow. कर्मवर्गणा के आने के 57 द्वार-5 मिथ्यात्व,12 अविरति, 25 कषाय, 15 प्रमाद।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्योपधि व्युत्सर्ग – Bahyopadhi Vyutsarga. Renouncement of external means, attachments etc. बाह्य परिग्रह; क्षेत्र, वास्तु आदि का त्याग करना अर्थात् अपरिग्रह , महाव्रत का पालन करना “
आर्य कूष्मांड देवी A supernatural power. एक विद्याधर विद्या का नाम।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आहार-काल Divinely emanation of translocational body (Aharak Sharir). दिगम्बर जैन साधुओं का भोजन काल-3 मुहूर्त जघन्य 2 मुहूर्त मध्यम 1 मुहूर्त उत्कृष्ट काल है(मूलाचार ग्रन्थ के अनुसार)। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्मल आकाश –Nirmala Aakaasha. Absolute pure sky, immaculateness of sky (an excellenc of Lord – Arihant). 14 देवकृत अतिशियोंमें एक अतिशय; आकाश का धुआं, उल्कापातादी से रहित होकर निर्मल हो जाना”
आहारक मिश्र काययोग Vibration in soul-points during the completion of Aharak Sharir. आहारक शरीर की उत्पत्ति प्रारम्भ होने के प्रथम समय से लगाकर शरीर पर्याप्ति पूर्ण होने तक अन्तर्मुहुर्त के मध्यावर्ती अपरिपूर्ण शरीर के द्वारा उत्पन्न योग।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्दंड – Nirdanda. utkrisht Freedom of soul from all types of faults ( reg.mind, speech or body). मानदंड या मनोयोग, वचनदण्ड और कायदण्डके योग्य द्रव्यकर्मो तथा भावकर्मो का अभाव होने से आत्मा निर्दंड (निर्दोष) होती है “