पिंड प्रकृति!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पिंड प्रकृति – Pimda Prakrti. Group of Karmic nature having many subkinds. बहुत सारी प्रकृतियों का समुदाय. जिन प्रकृतियों के एक से अधिक भेद होते हैं, जैसे गति, जाति आदि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पिंड प्रकृति – Pimda Prakrti. Group of Karmic nature having many subkinds. बहुत सारी प्रकृतियों का समुदाय. जिन प्रकृतियों के एक से अधिक भेद होते हैं, जैसे गति, जाति आदि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुसिद्धार्थ – Susiddhaartha. The spiritual teacher of the 9th Balbhadra Balram. 9वें बलभद्र बलराम के गुरू ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भवनंजय – Bhavanamjaya. A city in the north of Vijayardha (mountain). विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्गशलाका राशि – Vargashalaakaa Raashi.: Desired resultant quantity of Log2 Log2 (a mathematical operation). दो के वर्ग से लेकर जितनी बार की राशि विवक्षित हो उतनी वर्गशलाका राशि जानना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पार्श्वस्थ (साधु) – Parsvastha (Sadhu). Saints not observing the duties of a saint life. इंद्रिय, कषाय और विषयों से पराजित होकर चरित्र को तृण के समान समझने वाले मुनि “
उदराग्नि प्राशमन वृत्ति Pacification of hunger. साधु वृत्ति उदराग्नि का निःस्वाद भोजन से प्रशमन करना (मिटाना)। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वरसेना – Varasenaa.: Name of the first chief Aryika (Ganini) in the holy assembly of Lord Vasupujya. भगवान वासुपूज्य के समवशरण में मुख्य आर्यिका (गणिनी) ” अपरनाम ,सेनार्या , सेना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] न्यायचूलिका – Nyaayachoolikaa. Name of a book written by shri Aklanka Bhatt. श्री अकलंक भट्ट (ई. 640-680) कृत एक न्याय ग्रंथ “
देवसेवा Eulogical worshipping of Lord Arihant. देवपूजा , अभिषेक व 8 द्रव्य से पूजन,स्तुति करना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]