सकलेन्द्रिय!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सकलेन्द्रिय – Sakalendriya. All five sensed beings. पंचेन्द्रिय जीव सकलेन्द्रिय कहलाता है अर्थात् जिसके पांचो इन्द्रिय है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सकलेन्द्रिय – Sakalendriya. All five sensed beings. पंचेन्द्रिय जीव सकलेन्द्रिय कहलाता है अर्थात् जिसके पांचो इन्द्रिय है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रचुरसंख्यक – Prachura Samkhyaka. Abundant in numbers. अधिक संख्या में “
उपाध्याय जिन्हें ग्यारह अंग और चौदह पूर्वों का या उस समय के सभी प्रमुख शास्त्रों का ज्ञान है मुनि संघ में साधुओं को पढ़ाते हें, वे उपाध्याय [[परमेष्ठी]] कहलाते हैं। [[श्रेणी:शब्दकोष]] या Preceptor, Scriptural teacher . रत्नत्रय से संयुक्त जिनकथित पदार्थों के शूरवीर उपदेशक और निःकांक्ष भाव सहित ऐसे मुनिराज।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
दीर्घदर्शी One foresighted, discerning or learned. दूरदर्शी दूर तक की बात सोचने वाला।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दिवस पृथ्क्त्व A duration of three to nine days. 3 से 9 दिन के बीच के दिवस। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रसायिक – रस आसव आदि में उत्पन्न होने वाले जीव। Rasayika-Micro beings taking birth in impure liquids
इष्ट वियोग Separation from the desired one. इष्ट व प्रिय चेतन-अचेतन पदार्थ का बिछुड जाना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
गंभीर शासन Another name of Jain Shasan. अपर विदेह स्थित एक विभंगा नदी ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उदराग्नि Fire of hunger, an affiliction to be beared by Jaina saints. क्षुधा की बाधा क्रोध काम उदर इन तीन अग्नियों में तीसरी अग्नि इसमें मुनिजन अनशन की आहुति देकर आत्मयज्ञ करते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]