चारित्रपाहुड़!
चारित्रपाहुड़ A book written by Acharya Kundkund. आचार्य कुन्दकुन्द (ई. १२७-१२९) द्वारा रचित एक ग्रन्थ ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चारित्रपाहुड़ A book written by Acharya Kundkund. आचार्य कुन्दकुन्द (ई. १२७-१२९) द्वारा रचित एक ग्रन्थ ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मध्यम पारीषद् – Madhyam paarishad. A type of council of deities. देवों के परिषद् (सभा) के तीन भेदों में एक भेद ; इसे चंदा नाम से जाना जाता है , इसमें बहुधा अन्तःपुर के महत्तर होतें है जो बेंतरूपीलता को हाथ में ग्रहण करके कंचुकी की पोषाक पहने हुए हैं “
द्रव्य सामायिक Physically avoiding all evils. चेतन- अचेतन द्रव्यों में इष्ट – अनिष्ट रूप विकल्प नहीं करना द्रव्य सामायिक है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
ग्रैवेयिक स्तूप A special structure of Samavasharan-holy assembly of Lord. ग्रैवेयिक विमान के आकार का समावशरण का स्तूप ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समता परिणाम – Samataa Parinaama. Harmonious or equnimous, temperaments. माघ्यस्थ भाव। अपने आत्मा मे तथा सर्व जीवो मे समभाव अर्थात् समता परिणाम होना।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावास्त्रव – Bhavasrava. Flowing of Karmas. आत्मा के जिस परिणाम से पुदगल द्रव्य कर्म बनकर आत्मा में आता है उस परिणाम को भावास्त्रव कहते हैं “
दर्शन – ज्ञान-चारित्र Three jewels of Jainas (Right faith, Right knowledge & Right conduct ). रत्नत्रय सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यग्चारित्र इन तीनों गुणों को रत्नत्रय कहते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
द्रव्य विशेष Excellence of a matter. जीव पुद्गलादि में अमूर्तिक-मूर्तिक विशेष धर्म । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चंद्रानन A Tirthankar (Jaina-Lord) of Videh Kshetra (region). विदेह क्षेत्र के विद्यमान २० तीर्थंकर में एक तीर्थंकर का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]