योगद्वार!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योगद्वार – आस्त्रव, आत्मा से बंधने के लिए कर्मो का योगरूपी नाली के द्वारा आना। Yogadvara-path of inflow of karmas into soul
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योगद्वार – आस्त्रव, आत्मा से बंधने के लिए कर्मो का योगरूपी नाली के द्वारा आना। Yogadvara-path of inflow of karmas into soul
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == संबोधि : == खचरामरमनुज—करांजलि—मालाभिश्च संस्तुता विपुला। चक्रधरराजलक्ष्मी:, लभ्यते बोधि: न भव्यनुता।। —समणसुत्त : २०४ (इसमें संदेह नहीं कि) शुभ भावों से विद्याधरों, देवों तथा मनुष्यों की करांजलिबद्ध स्तुतियों से स्तुत्य चक्रवर्ती सम्राट् की विपुल राज्यलक्ष्मी (तक) उपलब्ध हो सकती है, किन्तु भव्य जीवों द्वारा आदरणीय सम्यक्—सम्बोधि प्राप्त नहीं…
गुणश्रेणी निक्षेपण multiple progression injection. द्वितीयादि समयों में असंख्यात गुना द्रव्य अपकर्षण कर उदयावाली एवं गुण श्रेणी आयाम में निक्षेपण करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आनपान Breathing air, Respiration. श्वास में नीचे ऊपर वायु का आना जाना या श्वासोच्छ्वास।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रामायण जैन – ई सन् 1275 में एक कन्नड कवि कुमुदेन्दु द्वारा रचित एक ग्रंथ। Ramayan (jaina)-A religious treatise written by kannad poet Kumudendu
खुर Hoof, A scented matter. घोड़े के पद चिन्ह,एक प्रकार का सुगन्धित द्रव्य । [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूजा – वेदना रोग, पीडा संताप। Ruja-Illness, Infraction, Pain, Trouble
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विद्याधर – Vidyadhara. Human beings who reside on vijayardh mou-tain and keep themselves busy in all auspicious activities. विजयार्ध पर्वत पर निवास करने वाले मनुष्य ” ये जाती, कुल और तप इन तीन प्रकार की विद्याओं एवं देवपूजा आदि षट् आवश्यक कर्मों में रत रहते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूचकवर पर्वत – मध्य लोक के 13 द्वीप का कुण्डलाकार पर्वत इस पर कुल 44 कूट है पूर्वादि दिषा में 8 – 8 कूट हैं जिन पर दिक्कुमारी देवियां रहती है।जो भगवान की माता की सेवा में जन्म कल्याणक के समय आती है। अभ्यंतर भाग में चार सिद्ध कूट है। Rucakavara parvata-name of a…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वृक्षमूलावास –Vrksamulavasa. A type of austerity, staying in the root – hollow of trees. कायक्लेश तप का एक भेद, वृक्षमूल में निवास करना “