प्रमार्जन!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमार्जन- पिच्छी आदि कोमल उपकरणें से षरीर-भूमि आदि को जीवों के रक्षार्थ मार्जन कर लेना या झाड़ लेना। Pramarjana- Careful act of purification
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमार्जन- पिच्छी आदि कोमल उपकरणें से षरीर-भूमि आदि को जीवों के रक्षार्थ मार्जन कर लेना या झाड़ लेना। Pramarjana- Careful act of purification
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमाणतिरेक दोश- वसतिका का एक दोश। अल्पभूमि में शय्या व आसन होने पर भी अधिक भूमि का ग्रहण करना। PramanatirekaDosa- A fault of hermitage (using of excess space)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमाण परीक्षा- आचार्य विद्यानन्दि सं. 1 (ई. 775-840)कृत एक ग्रंथ। PramanaPariksa- A book written by Acharya Vidyanandi
उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य Production, destruction & permanence (these are three characteristics of matter). उत्पत्ति विनाश और ध्रुवत्य (स्थाईपना) जो द्रव्य के तीन लक्षण होते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमद- भविश्यकालीन प्रथम रुद्र। Pramada- Name of the first predestined Rudra
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रभाव- शाप औश्र अनुग्रह रुप शक्ति को पय्रभाव कहते हैं। Prabhava- Efficacy, Effect
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहस्त्रनाम स्तव – Sahasranaama Stava. Name of an eulogical treatise written by Pandit Ashodhar. प0 आशाधर (ई0 1173-1243) द्वारा रचित संस्कृत छंदबद्ध ग्रंथ जिसमें 1008 नामों द्वारा भगवान का स्तवन किया गया है। इस पर आचार्य श्रुतसागर (ई0 1473-1533) ने टीका लिखी है ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहभू – Sahabhoo. Co-existing one. सहभावी, न्वयी, गुण, सहभू तथा अर्थ ये सब षब्द अर्थ की दृष्टि से एकार्थक होने के कारण एकार्थवाचक है।
नवधाभक्ति- मुनिराज का पडगाहन करना,उन्हें उच्चस्थान पर विराजमान करना, उनके चरण धोना, उनकी पूजा करना, उन्हें नमस्कार करना, अपने मन-वचन काय की शुद्धि और आहार की विशुद्धि रखना, इस प्रकार दान देने वाले के यह नौ प्रकार का पुण्य अथवा नवधाभक्ति कहलाती है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]