शुभ लेश्या!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभ लेश्या – Shubha Leshya. Auspicious mental colouration. शुभभावरूप, मंदकषायरूप पीत, पद्य, शुक्ल ये तीन वचन योग हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभ लेश्या – Shubha Leshya. Auspicious mental colouration. शुभभावरूप, मंदकषायरूप पीत, पद्य, शुक्ल ये तीन वचन योग हैं “
धृतिदेवी A female presiding deity of Tiginchha pond (Sarovar) and Dhrati summit situated at Nishadh mountain. निषध पर्वत पर स्थित तिगिंछ ह्रद व धृतिकूट की स्वामिनी देवी।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभचंद्र – Shubhachandra. Name of a great Acharya, the writer of Gyanamav Granth, The 8th Balbhadra of predestined Utsarpini Kal. एक महान आचार्य-राजा भर्तृहरि के भाई, ज्ञानार्णव ग्रंथ के रचियता (ई.सं. 1003-1068) ” भरतक्षेत्र के आगामी उत्सर्पिणी काल के 8वें बलभद्र “
धृत A king of Kuru dynasty, Name of a summit of Nishadh mountain and its deity. कुरूवंश का एक राजा, निषध पर्वत का एक कूट व उसका देव । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभ आस्रव – Shubha Aastrava. Flow of auspicious Karmas. पूण्यकर्म के आने योग्य मन, वचन, काय की शुभ प्रवृत्ति “
धाराचारण ऋद्धि A type of super natural power (violenceless movement). चारण ऋद्धि का एक भेद; जिसके प्रभाव से मुनि मेघों से छोड़ी गयर जलधाराओं में स्थित जीवों को पीड़ा न पहुंचाकर उनके ऊपर से जाते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चतुर्विंशतिस्तव Eulogy of 24 Tirthankars (Jaina-Lords). अंगबाह्य श्रुत के १४ प्रकीर्णकों में एक प्रकीर्णक , तीर्थंकरों के गुणों का कीर्तन करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समयप्रबद्व – Samayaprabaddha. Binding of karmic molecules with the soul in one samay (a time unit). एक समय मे जितने कर्म व नोकर्म वर्गणाएं आत्मा से बंधती है उसे समय प्रबद्व कहते है। इसका जधन्य प्रमाण अभव्य राषि से अनंतगुणा व उत्कृष्ट प्रमाण सिद्व राषि से अनंतवां भाग है।
धवला टीका A book written by Acharya Virsen. आचार्य भूतबलि (ई. 136-156) कृत षट्खण्डागम ग्रंथ के प्रथम 5 खण्डों पर आचार्य वीरसेन स्वामी (ई. 816) द्वारा लिखित विस्तृत टीका। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मध्यम धर्मध्यान – Madhyama Dharamadhayana. A kind of right religious observances. धर्मध्यानके 3 भेदों में एक भेद ” गृहस्थ धर्म का संचालन करते हुए धर्म के प्रति भी मध्यम प्रवृति करते रहना “